नयी दिल्ली: केंद्र ने कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में काम कर रहे भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारियों का कार्यकाल संबद्ध मंत्री की अनुमति के बिना नहीं बढाया जा सकता.यह आदेश संबद्ध मंत्रालयों में सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में केंद्रीय सतर्कता आयोग से मिलती जुलती भूमिका निभा रहे मुख्य सतर्कता अधिकारियों को, समय से पहले उनके पूर्ववर्ती पद पर भेजे जाने या उनके सेवा काल में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव भेजने में विलंब के मामलों के बाद आया है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने एक आदेश में कहा है कि यह देखने में आया है कि कुछ मंत्रालय अपने यहां सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के संदर्भ में उनके सेवा काल में वृद्धि, समय से पहले पूर्ववर्ती पद पर भेजने और कार्यकाल न बढाने (तीन साल का शुरुआती कार्यकाल पूरा करने के बाद) संबंधी प्रस्ताव बहुत देर से भेजते हैं. कई बार तो मंजूरी की अवधि भी समाप्त हो जाती है.
अब यह तय किया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के कार्यकाल में वृद्धि संबंधी किसी भी प्रस्ताव पर न्यायोचित प्राधिकारी की मंजूरी के साथ कम से कम छह माह पहले प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी.
उन्हें संबद्ध प्रभारी मंत्री की मंजूरी, केंद्रीय सतर्कता आयोग की टिप्पणी और संबद्ध अधिकारी की इच्छा के साथ प्रस्ताव को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास, उसका कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम दो माह पहले भेजना होगा ताकि संबद्ध प्राधिकारी से अनुमोदन हासिल हो सके.
मंत्रालय के अनुसार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के समुचित प्राधिकारी की मंजूरी के बिना किसी भी अधिकारी को रिलीव नहीं किया जाएगा. नियमों के अनुसार, सभी मुख्य सतर्कता अधिकारियों को सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों में तीन साल का तय कार्यकाल दिया जाता है.