बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी नेतृत्व के साथ बातचीत के बाद भारत और चीन बाजार पहुंच बढाने और व्यापार घाटे से जुडी चिंताओं को दूर करने के लिये एक उच्चस्तरीय कार्यबल बनाने पर सहमत हो गये. भारत अपने दवा उत्पादों, सूचना प्रौद्योगिकी और कृषि उत्पादों की चीन के बाजारों में पहुंच बढाना चाहता है ताकि इस पडोसी देश के साथ बढते व्यापार घाटे की चिंता से निपटा जा सके.
विदेश सचिव एस जयशंकर ने यहां मीडिया से कहा कि मोदी की राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ कल शियान और आज यहां प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ बातचीत के बाद दोनों देश उच्चाधिकार कार्यबल स्थापित करने पर सहमत हो गये हैं. मोदी ने ली के साथ अपनी वार्ता के बाद अपनी टिप्पणी में भारत की चिंता जाहिर की. हालिया आधिकारिक रपट में कहा गया कि पिछले साल 70.6 अरब डालर के द्विपक्षीय व्यापार में भारत का व्यापार घाटा 48 अरब डालर को छू गया.
जयशंकर ने कहा कि भारत से दवाओं और सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों की बाजार पहुंच बढाने की भारत के आह्वान पर पर्याप्त गतिविधि नहीं हुई, यही वजह है कि इस कार्यबल का गठन किया जा रहा है. भारतीय अधिकारी इन उत्पादों को भारत का मजबूत क्षेत्र मानते हैं.
विदेश सचिव ने कहा कि भारत की चिंताओं पर चीनी पक्ष ने सकारात्मक रुख दिखाया है. ‘चीन इससे इनकार नहीं करता है बल्कि असली चुनौती इसको संपन्न करने की है.’ चीन वीजा के संबंध में और उसका निवेश बढने की धीमी गति को लेकर चिंतित है. चीनी नेतृत्व ने भारतीय अधिकारियों के साथ हाल की बातचीत में इन मुद्दों को उठाया था.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.