सदर डीएसपी रमाकांत प्रसाद ने छात्र की सकुशल बरामदगी के साथ ही अपहर्ता को पकड़ने की बात कही. अजय को पड़ोसी होने के कारण छात्र पहचानता था. इससे अपहर्ता को पकड़ने में पुलिस को मदद मिली. अजय ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत अपना सारा सामान पांच मई को ही बेच दिया और अजय को दिल्ली घुमाने का झांसा देकर छह मई को उसे लेकर निकल गया. अचानक कुंदन के गायब होने की घटना के बाद परिजनों ने हर संभावित जगहों पर उसकी खोज की, लेकिन वह नहीं मिला. इसी बीच सात मई को कुंदन के ही मोबाइल फोन से किसी अज्ञात ने फोन कर तीन लाख की फिरौती मांगी और बताया कि वह उसके पास है.
शुरू में तो परिजनों को विश्वास नहीं हुआ कि उनके बच्चे का कोई अपहरण कर सकता है, क्योंकि धर्मेद्र मजदूरों की ठेकेदारी का काम करते हैं और आर्थिक स्थिति भी सामान्य है. जब आठ मई को भी उनका बेटा वापस नहीं लौटा और फिर से फिरौती का फोन आने लगा तो नौ मई को कंकड़बाग थाना पुलिस को तमाम जानकारी देते हुए अपहरण की प्राथमिकी दर्ज करा दी. इसके पूर्व अजय ने कुंदन को वापस घर भेजने के नाम पर मोबाइल फोन का रिचार्ज भी कराया.
इस पर उन लोगों को दिल्ली बुलाया गया. पुलिस भी सादे वेश में धर्मेद्र राय के साथ लग गयी. दिल्ली पहुंचने पर अजय ने कई बार अपना लोकेशन बदला, लेकिन अंतत: पुलिस को उसे पकड़ने में सफलता मिली. उसकी निशानदेही पर कुंदन को बरामद कर लिया. अजय ने कुंदन को अपहरण करने के बाद उसे मजदूरी के काम में लगा दिया था. उसके साथ मारपीट भी की गयी थी. बुधवार की सुबह पुलिस कुंदन को अपने साथ लेकर पटना चली आयी.