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होल्डिंग टैक्स में गड़बड़ी, सालाना लाखों रुपये की होती रही है लूट
धनबाद: निगम क्षेत्र में लगभग सवा दो लाख मकान हैं. लेकिन मात्र 40,000 मकानों का ही होल्डिंग नंबर है. धनबाद में 35000, छाताटांड़ अंचल में 2000 व कतरास अंचल में मात्र 200 लोगों ने ही होल्डिंग नंबर लिये हैं. झरिया व कतरास में माडा होल्डिंग शुल्क की वसूली करता है. जानकारों का मानना है कि […]
धनबाद: निगम क्षेत्र में लगभग सवा दो लाख मकान हैं. लेकिन मात्र 40,000 मकानों का ही होल्डिंग नंबर है. धनबाद में 35000, छाताटांड़ अंचल में 2000 व कतरास अंचल में मात्र 200 लोगों ने ही होल्डिंग नंबर लिये हैं. झरिया व कतरास में माडा होल्डिंग शुल्क की वसूली करता है. जानकारों का मानना है कि होल्डिंग टैक्स में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जाती रही है. सालाना लाखों रुपये के वारे-न्यारे किये गये. ये पैसे निगम के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारी व कर्मी की एक जमात में बंटते रहे. जांच होने पर एक बड़े गोरखधंधा का पर्दाफाश हो सकता है.
कैसे होती है टैक्स चोरी : ऐसे होल्डिंग क्रियेट करवाने के बाद भी टैक्स चोरी करनेवालों की बड़ी संख्या है. निगमकर्मियों व अधिकारियों से मिलीभगत कर लोग अपने निर्माण क्षेत्र को कम बता कर टैक्स चोरी करते हैं. कई लोग ऐसे भी हैं, जो एक मंजिला मकान का टैक्स भरते हैं, जबकि उनका तीन या उससे अधिक मंजिला मकान हैं. कई लोग भूमि का व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं, लेकिन कागजात में जमीन को आवासीय दिखाया है. इसके एवज में निगम के कर्मचारियों को बंधी-बंधायी रकम दी जाती है.
नगरपालिका के समय से चल रही टैक्स की चोरी : नगरपालिका के समय से ही टैक्स की चोरी चल रही है. ऑडिट में भी टैक्स चोरी का खुलासा हो चुका है. मोटी रकम लेकर 15 साल के मकान को दो साल बता कर होल्डिंग निर्धारण का मामला पहले भी कई बार उठ चुका है. हालांकि ऑन लाइन प्रक्रिया में कुछ बंदिश लगेगी. ऐसा प्रावधान है कि पकड़े जाने पर कर्मचारी के साथ लैंड लॉर्ड पर भी कानूनी कार्रवाई होगी.
एक अप्रैल से शुरू होना था ऑन लाइन पेमेंट : एक अप्रैल से ऑन लाइन पेमेंट की सुविधा शुरू होना था. लेकिन अब तक प्रक्रिया शुरू नहीं हुई. पेमेंट गेटवे के लिए एनआइसी को टेंडर मिला है. इंटरफेम का काम चल रहा है.
‘ऋतिका’ को मिला है होल्डिंग का टेंडर
होल्डिंग की संख्या बढ़ाने के लिए ऋतिका प्रिंटेक को इसका टेंडर दिया गया है. चार साल पहले नगर निगम क्षेत्र के मात्र 17,000 लोगों के पास होल्डिंग नंबर था. मैथन जलापूर्ति योजना चालू होने के बाद पानी कनेक्शन के लिए होल्डिंग अनिवार्य होने के बाद इसकी संख्या लगातार बढ़ती गयी और 30,000 तक पहुंच गयी. हालांकि तीन माह पहले आउटसोर्स कंपनी ऋतिका प्रिंटेक को होल्डिंग की बागडोर सौंपी गयी. तीन माह में 10,000 नये होल्डिंग धारक बनाये गये.
17 डिजिट का है होल्डिंग नंबर
पुराने होल्डिंग नंबर को बदल कर 17 डिजिट का होल्डिंग नंबर जेनेरेट किया जा रहा है. फिलवक्त 15,000 उपभोक्ताओं का 17 डिजिट का होल्डिंग नंबर जेनेरेट किया जा चुका है. 17 डिजिट होल्डिंग नंबर में स्टेट, जिला, नगर निगम क्षेत्र, सर्किल, वार्ड व गली-मोहल्ला का कोड होता है.
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