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5032 शिक्षकों ने दी गिरफ्तारी
समाहरणालय के समक्ष किया प्रदर्शन, नारेबाजी बेतिया : वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलनरत नियोजित शिक्षकों ने सोमवार को जेल भरो आंदोलन चलाया. आंदोलन के दौरान भारी संख्या में शिक्षक सड़क पर उतरे तथा गिरफ्तारी दी. जेल भरो अभियान को लेकर शिक्षकों का जुटान सुबह दस बजे से हीं समाहरणालय गेट पर शुरू हो गया. […]
समाहरणालय के समक्ष किया प्रदर्शन, नारेबाजी
बेतिया : वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलनरत नियोजित शिक्षकों ने सोमवार को जेल भरो आंदोलन चलाया. आंदोलन के दौरान भारी संख्या में शिक्षक सड़क पर उतरे तथा गिरफ्तारी दी.
जेल भरो अभियान को लेकर शिक्षकों का जुटान सुबह दस बजे से हीं समाहरणालय गेट पर शुरू हो गया. 11 बजते-बजते नियोजित शिक्षक महासंघ, बिहार राज्य नियोजित शिक्षक संघर्ष मोर्चा व बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ (गोप गुट) के बैनर तले करीब 5 हजार से अधिक शिक्षक जुट गये. शिक्षकों ने वेतनमान की मांग दोहराते हुए सरकार विरोधी नारे लगाये.
बाद में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन ने हड़ताली शिक्षकों को विपिन हाई स्कूल में परिसर में बने कैंप जेल में बंद कर दिया. आंदोलन का नेतृत्व शिक्षक नेता अमित कुमार श्रीवास्तव, विपिन प्रसाद, लालबाबू कौशल, राजू कुमार सिंह, संतोष यादव, धर्मेन्द्र दूबे, अमरेन्द्र शर्मा, पांडेय धर्मेन्द्र शर्मा, सीता देवी, धरनीकांत मिश्र, रविकांत झा, अर्पणा कुमारी, यादव लाल, राजेश खन्ना, मंकेश्वर राम, विजय झा, औरंगजेब राजा, जितेन्द्र राम, राकेश रौशन आदि कर रहे थे.
घंटों रही सड़क जाम
नियोजित शिक्षकों के जेल भरो अभियान के दौरान नगर की यातायात व्यवस्था चरमरा गयी. समाहरणालय चौक पर जमा लगा रहा. जिससे नगरवासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. इस दौरान कई राहगीरों से नियोजित शिक्षकों की झड़प भी हुई.
जेल में पानी मांगते रहे हड़ताली शिक्षक
विपिन हाइस्कूल में बनाये गये कैंप जेल में बंद हड़ताली शिक्षक प्रशासन से बार-बार पानी मांगते रहे. गर्मी से शिक्षकों का बुरा हाल था.
प्रशासन व पुलिस रही चौकस
जेल भरो अभियान के दौरान किसी तरह की चुक न हो जाय, इसको लेकर जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन चौकस रहा. इस दौरान अनुमंडल गेट से लेकर स्टेशन चौक तक भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी थी.
व्यवस्था की कमान सदर एसडीएम सुनील कुमार, एएसपी अभियान राजेश कुमार, नगर थानाध्यक्ष विमलेन्दू कुमार, मुफस्सिल थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह, ओपी प्रभारी ओमप्रकाश चौहान, दारोगा एजाज आलम, अनिल मौजूद थे.
शिक्षिकाओं के पतियों ने भी दिया साथ
बेतिया. यूं तो पति-पत्नी का अटूट रिश्ता होता है. रिश्तों को निभाने में दोनों एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. सोमवार को भी कुछ ऐसा हीं नजारा समाहरणालय के समीप दिखा.
वेतनमान की लड़ायी लड़ रही पत्नियों का साथ पतियों ने खूब निभाया. पत्नी को जब प्रशासन व पुलिस गिरफ्तार कर कैंप जेल ले जा रही थी,तब पति भी इससे कहां पीछे हटते और पत्नियों साथ देने के लिए वे भी अपने को जेल में बंद करा बैठे. कई शिक्षिकाओं की जगह उनके पति हीं आंदोलन में शामिल हुए और पति धर्म का पालन करते हुए गिरफ्तारी दी.
जब बगहा में नगर परिषद का गठन किया गया तो लोगों ने शायद यह समझा होगा कि बगहा विकास के पायदान पर खड़ा होगा,लेकिन यहां तो उलटा ही साबित होता दिख रहा है. सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की जाती है.जगह जगह कूड़ा जमा हुआ मिलना जैसे नियति बन गया है. सैकड़ों कुआं का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है.नाला नहीं रहने के कारण सड़कों पर गंदगी फैल जाती है.इससे बीमारियों के फैलने की संभावना प्रबल हो जाती है.वैसे में नप या प्रशासन द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया जाता है.
बगहा : नगर परिषद तो बना दिया गया लेकिन पंचायत जैसा भी सुविधा नगर में नहीं है. नगर परिषद में जगह- जगह कूड़ा – कचरा का अंबार लगा हुआ है. लेकिन सफाई नहीं होने से नरक में तब्दील हो गया है. नगर परिषद द्वारा होल्डिंग टैक्स तथा वाहनों से चूंगी वसूल होती है.
लेकिन सुविधा के नाम पर ढाक का तीन पात साबित हो रहा है. बगहा वार्ड- 23 के निवासी अशोक कुमार दास नगर विकास विभाग ने केंद्रीय कृत जन शिकायत निवारण में आइएचओ 704150006 7-4-2015 को दायर होने की सूचना आवेदक एवं कार्यपालक पदाधिकारी विपिन कुमार यादव से भी इस संदर्भ में निराकरण के लिए दूरभाष पर संपर्क किया गया पर वे उपलब्ध नहीं हो सके.
नगर परिषद में अतिक्रमण का बोलबाला
बार- बार नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा घोषणा किया जाता है कि अस्पताल के सामने या नगर परिषद के सामने की सड़क से अतिक्रमण हटाया जायेगा. कब हटेगा यह निश्चित नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दावा भारत को स्वच्छ बनायेंगे यह सिर्फ बगहा में छलावा बन कर रह गया है.
अधिकारी व सत्ताधारी दल सिर्फ साफ- सफाई की दिखावे के लिए फोटो खिंचवाते है. पर होता कुछ नहीं. शहर में सैकड़ों कुआं का अस्तित्व खत्म हो गया है. कुआं भूकंप रोधी एवं भूमि के पैमाइश के काम में सहयोग करता था. कुत्तों के काटने पर सात कुआं झांकना पड़ता है. मारवाड़ी महिलाएं बच्च होने पर कुआं का दर्शन कर पूजा करती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी विपिन कुमार यादव ने बताया कि सफाई होती है.एक दिन में सभी वार्डो में सफाई नहीं हो सकती. 100 में 7 आदमी हीं होल्डिंग टैक्स जमा करते हैं. जिसके चलते नप की आमदनी बहुत कम है.
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