मॉस्को : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज रुस में रह रहे भारतीय समुदाय का आह्वान किया कि भारत को वैश्विक निर्माण हब बनाने की सरकार की योजनाओं में सहयोग के लिए अपने कौशल और पूंजी का निवेश करें. उन्होंने यहां भारतवंशी समुदाय से भारत-रुस के संबंधों और खासतौर पर आर्थिक संबंधों का और अधिक विस्तार करने के लिए महत्वपूर्ण तरीके से योगदान देने को कहा.
मुखर्जी ने रुस में भारतवंशी समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-रुस के संबंधों ने मानवीय प्रयासों के लगभग हर क्षेत्र को स्पर्श किया है और इसमें राजनीति, सुरक्षा, रक्षा, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, शिक्षा और संस्कृति में सहयोग शामिल है.
उन्होंने कहा, आर्थिक साझेदारी के स्तर को और बढाने की जरुरत है. व्यापार और निवेश आर्थिक संबंधों के स्तंभ होते हैं. उन्होंने कहा कि भारत और रुस के बीच कुल सालाना व्यापार छह अरब डॉलर का है जो भारत के 765 अरब डॉलर का 0.8 प्रतिशत है.
अप्रैल, 2000 से भारत में 246 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आया है और इसमें रुस से केवल एक अरब डॉलर या कुल निवेश का 0.4 प्रतिशत ही आया है.
मुखर्जी ने कहा, हमारी अर्थव्यवस्थाओं के आकार को देखते हुए व्यावसायिक आदान-प्रदान और निवेश बढाने की बहुत क्षमता है. दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी सक्रियता और नये अवसरों का इस्तेमाल करना हम सबके लिए चुनौती है.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट शहर, आदर्श गांव और स्वच्छ गंगा जैसी नयी योजनाओं के माध्यम से भारत की आर्थिक प्रगति और विकास को नये सिरे से गति प्रदान की है.
उन्होंने कहा, विदेशों में बसा भारतीय समुदाय अपने कौशल और पूंजी से इन योजनाओं में योगदान दे सकता है. विशेष रुप से एनआरआई और पीआईओ समुदाय के लिए नये अवसर बनाये गये हैं कि वे आगे आएं और भारत की सफलता में योगदान देने में बडी भूमिका निभाएं.
राष्ट्रपति ने कहा, आप जिस देश में रह रहे हैं वहां के उद्यमों को भी भारत में उपलब्ध नये अवसरों के बारे में बता सकते हैं. हमें विचार, नई सोच, प्रौद्योगिकी और निवेश के लिए रुस जैसे मित्र देशों में साझेदारी की जरुरत है. आपको इस तरह की साझेदारियों को सुगम बनाना होगा. रुस में करीब 15000 भारतीय रहते हैं जिनमें 4000 विद्यार्थी हैं.