9 हैज3 में बच्चों से घिरी सिस्टर पेट्रिना सुप्रियर.हजारीबाग. अपनी मां का एहसास दिलाने का काम कर रहा है मिशनरी ऑफ चैरेटी हजारीबाग. यहां नवजात व अनाथ शिशुओं को गोद लिया जाता है. कुछ लोग चैरेटी के दरवाजे पर जन्म के तुरंत बाद के शिशु को भी रख कर चुपचाप चले जाते हैं. उनकों भी संस्था स्वीकार करती है. उन्हें यहां मां का लाड़-दुलार व स्नेह मिलता है. मां की कमी का एहसास नहीं होने दिया जाता.इस चैरेटी की स्थापना जुलाई 1978 में हुई थी. वर्तमान में यह संस्था नवाबगंज में स्थित है. नोबेल पुरस्कार विजेता स्व मदर तेरेसा ने पहली बार 1980 में इस संस्थान में कदम रखा था. इस समय संस्थान में छह सिस्टर सेवा कर रही हैं. सिस्टर पेट्रिन सुप्रियर की देखरेख में बच्चों का पालन-पोषण हो रहा है. इनके साथ सिस्टर अंजलिक, सिस्टर परवीन,सिस्टर मेरे कुलदीप,सिस्टर फ्रेटोलिन,सिस्टर आइरीना बच्चों की सेवा में लगी हैं. संस्थान में चार महीने से लेकर दो साल तक के 16 बच्चे रहे हैं. अन्य बच्चे यहीं पर स्थित स्कूल में नि:शुल्क पढ़ते हैं. 40 गरीब परिवार को महीने में एक बार राशन दिया जाता है. इनमें चावल,दाल,सोयाबीन दिया जाता है. इसके अलावे संस्थान के लोग गांव में घूम-घूम कर नि:शुल्क दवा बांटते हैं. संस्थान के अंदर आसपास की गरीब महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए सिलाई सेंटर चलाया जा रहा है. जिसमें महिलाओं को सिलाई,कटाई एवं अन्य प्रशिक्षण दिया जाता है.सिस्टर पेट्रिना सुप्रियर ने मदर डे पर माताओं से कहा कि वह न केवल अपने बच्चों के प्रति बल्कि बेसहारा,गरीब एवं अनाथ बच्चों के प्रति भी अपना प्यार जतायें.
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लीड…माताएं बेसहारा बच्चों को भी प्यार करें : सिस्टर पेट्रिना सुप्रियर
9 हैज3 में बच्चों से घिरी सिस्टर पेट्रिना सुप्रियर.हजारीबाग. अपनी मां का एहसास दिलाने का काम कर रहा है मिशनरी ऑफ चैरेटी हजारीबाग. यहां नवजात व अनाथ शिशुओं को गोद लिया जाता है. कुछ लोग चैरेटी के दरवाजे पर जन्म के तुरंत बाद के शिशु को भी रख कर चुपचाप चले जाते हैं. उनकों भी […]
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