नयी दिल्लीः संसद में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक( कैग) की रिपोर्ट में दूरसंचार मंत्रालय की खिंचाई करते हुए नयी लाइसेंसिंग व्यवस्था पर सवाल खड़े किये. कैग ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि इस नियम के तहत किस तरह मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जिओ इंफोकॉम को वॉयस कॉलिंग के कारोबार की अनुमति देकर उसे 3,367.29 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया गया है.
शुक्रवार के संसद में पेश किये गये रिपोर्ट में कैग ने कहा कि न सिर्फ रिलायंस बल्कि भारती एयरटेल को भी 499 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया. रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) ने वर्ष 2010 में इंफोटेल ब्रॉडबैंड का अधिग्रहण कर लिया था और बाद में इंफोटेल का नाम बदलकर रिलायंस जियो इंफोकॉम किया गया. इससे पहले इंफोटेल ने स्पेक्ट्रम नीलामी में समूचे देश में ब्रॉडबैंड सेवा के लिए ब्राडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) स्पेक्ट्रम हासिल किया था.
कंपनी इसका उपयोग 4जी मोबाइल सेवाओं के लिए कर सकती है. कैग ने इसी बात पर विशेष ध्यान दिया है रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड (पूर्व में मेसर्स इंफोटेल) ने अगस्त, 2013 में 15 करोड़ रुपये का एकीकृत लाइसेंस (यूएल) का प्रवेश शुल्क और एक लाइसेंस व्यवस्था से दूसरी में प्रवेश के लिए 1,658 करोड़ रुपये अतिरिक्त माइग्रेशन शुल्क जमा कराया था. यह माइग्रेशन फीस 2001 में निर्धारित कीमत के आधार पर दी गई. इससे रिलायंस जियो को 3,367.29 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ हुआ.
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