हजारीबाग. एक ओर जहां सरकार लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं. वहीं बंदा-कोवार्ड गांव के ग्रामीण पानी के लिए हाय-तौबा मचाये हुए हैं. ग्रामीणों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. दोनों गांवों में कुंओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. सुबह के समय कुंओं में थोड़ा बहुत पानी जमा होता है, लेकिन दोपहर होते-होते पूरी तरह सूख जाता है. ग्रामीण आधा किमी दूर एक नाला से पानी लाने को विवश हैं. सुबह होते ही दोनों गांव की महिलाएं पानी की तलाश में निकल पड़ती हैं. कैसे होती है पानी की किल्लत : दोनों गांव पहाड़ की तलहट्टी के किनारे बसा है. पहाड़ी इलाका होने की वजह से जलस्तर काफी नीचे चला जाता है. इसलिए गरमी के दिनों में सबसे अधिक परेशानी होती है. गांव में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए चापानल तो लगाया गया है लेकिन इससे ग्रामीणों को पूर्ण रूप से पानी नहीं मिल रहा है. अधिकांश चापानल खराब है जिसकी मरम्मत नहीं होती है. तालाब, चेकडैम पूरी तरह से सूख गये हंै. गांव के विनोद कुमार ने बताया कि इस समस्या को दूर करने के लिए कई बार विभाग से भी शिकायत की, पर कोई नहीं सुना. राजेंद्र कुमार महतो, परेज, संजय कुमार, भागेश्वर गंझू ने पानी की समस्या को जल्द से जल्द दूर करने की मांग प्रशासन से की है.
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पानी के लिए बंदा-कोवार्ड गांव में हाहाकार
हजारीबाग. एक ओर जहां सरकार लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं. वहीं बंदा-कोवार्ड गांव के ग्रामीण पानी के लिए हाय-तौबा मचाये हुए हैं. ग्रामीणों को शुद्ध पानी नहीं मिल पा रहा है. दोनों गांवों में कुंओं का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. सुबह के समय कुंओं में […]
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