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बिजली में सुधार से ही बदलेगी तसवीर

झारखंड का बड़ा हिस्सा बिजली-पानी के संकट से जूझ रहा है. राज्य में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां 12-12 घंटे बिजली नहीं रह रही है. राजधानी रांची के कई क्षेत्रों में बुरा हाल है.हटिया ग्रिड में मरम्मत और नया ट्रांसफरमर लगने का काम चल रहा है. संकट का बड़ा कारण यह भी है. जनता में […]

झारखंड का बड़ा हिस्सा बिजली-पानी के संकट से जूझ रहा है. राज्य में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां 12-12 घंटे बिजली नहीं रह रही है. राजधानी रांची के कई क्षेत्रों में बुरा हाल है.हटिया ग्रिड में मरम्मत और नया ट्रांसफरमर लगने का काम चल रहा है. संकट का बड़ा कारण यह भी है.

जनता में इतनी नाराजगी है कि वह सड़कों पर भी उतर कर विरोध कर रही है. बिजली के संकट के साथ पानी का संकट भी जुड़ जा रहा है. कभी नलों में पानी नहीं आता, तो कभी बिजली नहीं रहने के कारण मोटर नहीं चल पाता. ये कोई आज की समस्या नहीं है.

राज्य बनने के बाद राज्य में बिजली का उत्पादन नहीं बढ़ा. अगर अपवाद को छोड़ दें तो नये पावर प्लांट नहीं लगे. आबादी बढ़ी. साथ ही बिजली की खपत भी. राज्य को बाहर से बिजली खरीद कर काम चलाना पड़ रहा है. पीटीपीएस की हालत खराब है, जिसे अब झारखंड सरकार ने एनटीपीसी को दे दिया है. लेकिन इसे ठीक करने में वक्त लगेगा. जिस तरह के प्रयास हो रहे हैं, उनका असर आनेवाले दिनों में दिखेगा. जनता को बिजली चाहिए, वह पैसा देने को तैयार है. इसलिए राज्य में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि लोगों को 24 घंटे बिजली मिलती रहे. पड़ोसी राज्य ओड़िशा के पास सरप्लस बिजली है.

छत्तीसगढ़ में भी ऐसा ही है. झारखंड में भी भविष्य में होगा. पर अधिकारी इस समय ऐसी योजना बनायें ताकि बिजली भी मिलती रहे और मरम्मत का काम भी चलता रहे. बड़े अधिकारियों को फर्क नहीं पड़ता, बिजली रहे या नहीं रहे क्योंकि उनके आवासों-दफ्तरों में जेनरेटर की व्यवस्था रहती है.

मारी जाती है आम जनता. वैसे भी वीआइपी क्षेत्र में पानी-बिजली का संकट अन्य जगहों की तुलना में कम ही होता है. अब अफसरों के सामने जल्द से जल्द राज्य के बिजली संकट को दूर करने की चुनौती है. विद्युत बोर्ड में ऐसे भी कर्मचारी हैं जो 24 घंटे काम कर आंधी-तूफान में गिरे बिजली के खंभों को खड़ा कर बिजली आपूर्ति सामान्य कर चुके हैं.

ऐसे कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए. ऐसे ही अधिकारी-कर्मचारी अगर लग जायें तो मरम्मत का काम निर्धारित समय से पहले भी पूरा हो सकता है. अफसर जनता को साफ-साफ बतायें कि आखिर यह संकट कब तक चलेगा ताकि जनता अपनी तैयारी कर सके.

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