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ब्रिटेन आम चुनाव : क्यों अहम मानी जा रही है भारतीय मूल के मतदाताओं की भूमिका!

लंदन : ब्रिटेन में आज हो रहे आम चुनाव के लिये कल चुनाव की पूर्व संध्या के आखिरी समय तक विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने की पुरजोर कोशिश की. माना जा रहा है कि इस चुनाव में खंडित जनादेश के आसार हैं लेकिन कई अनुमानों में प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की कंजरवेटिव पार्टी को […]

लंदन : ब्रिटेन में आज हो रहे आम चुनाव के लिये कल चुनाव की पूर्व संध्या के आखिरी समय तक विभिन्न राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने की पुरजोर कोशिश की. माना जा रहा है कि इस चुनाव में खंडित जनादेश के आसार हैं लेकिन कई अनुमानों में प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की कंजरवेटिव पार्टी को मामूली बढत मिलने की संभावना जताई गई है.
सत्तारुढ गठबंधन के दोनों दल कंजरवेटिव पार्टी और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा विपक्षी लेबर पार्टी कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव के प्रचार में इस बार आखिरी समय तक मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की गयी क्योंकि सभी दलों को पता है कि इस बार का चुनाव इतना करीबी है कि इसमें एक-एक वोट निर्णायक साबित हो सकता है. चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में निरंतर यह बात सामने आ रही थी कि ब्रिटेन के चुनाव में इस बार कांटे की टक्कर है.
ब्रिटेन की राजनीति में अब एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है. ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों की बड़ी आबादी की वजह से इस चुनाव में भारतीय मूल के मतदाताओं की अहम भूमिका रहने वाली है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री डेविड कैमरून भी बार-बार भारत और भारतीयों की तारीफ़ के कसीदे पढ़ते देखे गए. कैमरून ने पिछले साल अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि – भविष्य में ब्रिटेन का प्रधानमंत्री कोई भारतीय बन सकता है. इसके बाद भी कैमरून ने अपने इस वक्तव्य को कई मौकों पर दोहराया. इसके अलावा कैमरून ने ब्रिटेन में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों की ब्रिटेन और वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान के लिए भी तारीफ की थी.
ब्रिटेन में भारतीय मूल के मतदाताओं की संख्या करीब 615,000 मानी जाती है. ऐसे में भारतीय मूल के लोगों की भूमिका अहम रहने वाली है. कुल मतदाता करीब 4.5 करोड हैं. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक कंजरवेटिव को विपक्षी लेबर पार्टी के मुकाबले मामूली बढत मिल सकती है. कैमरून की पार्टी को 34 फीसदी और एड मिलीबैंड की पार्टी को 33 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
भारतीय लोगों का ब्रिटेन में वर्चस्व बढ़ने का ये सबसे बड़ा प्रमाण है कि कंजरवेटिव पार्टी ने इस बार भारतीय मूल के 17 लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है तो लेबर और लिबरल डेमोक्रेट ने भारतीय मूल के 14-14 लोगों को टिकट दिए हैं. भारतीय मूल के प्रमुख उम्मीदवारों में इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति के दामाद ऋषि सुनक शामिल हैं. अमनदीप सिंह भोगल उत्तरी आयरलैंड में चुनाव लड रहे हैं. वह यहां चुनाव लडने वाले पहले सिख हैं.
निक क्लेग के नेतृत्व वाली लिबरल डेमोक्रेट का आधार इस साल काफी कम हुआ है. सर्वेक्षणों के मुताबिक वह चौथे स्थान पर नजर आ रही है. तीसरे स्थान पर यूके इंडिपेंडेंट पार्टी (यूकेआईपी) नजर आ रही है.
साल 2010 में हुए पिछले आम चुनाव में भारतीय मूल के आठ लोग संसद के लिए चुने गए थे जिनमें दो महिलाएं शामिल थीं. लेबर पार्टी के सांसद कीथ वैज की लीसेस्टर ईस्ट सीट इस बार काफी सुरक्षित नजर आ रही है. उनकी बहन वेलेरी वैज वालसाल साउथ सीट को बचाने को कोशिश में हैं.
ब्रिटेन की 650 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिए 326 सदस्यों की जरुरत होती है. साल 2010 में हुए पिछले आम चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को 307 और लेबर को 258 सीटें मिली थीं. ब्रिटेन में चुनावी नियमों के मुताबिक पार्टियां मतदान वाले दिन स्वेच्छा से प्रचार अभियान रोक देती हैं. इसलिए चुनाव की पूर्व संध्या तक सभी पार्टियों के उम्मीदवारों ने मतदाताओं को लुभाने का आखिरी प्रयास पूरी ताकत से किया.

प्रचार के दौरान कैमरून ने कहा, देश पांच साल पहले के मुकाबले अब अधिक मजबूत हुआ है लेकिन बहुत कुछ करने की जरुरत है. मिलीबैंड ने लोगों से आग्रह किया कि वे हमारे देश में कड़ी मेहनत को पुरस्कृत करने के लिए मतदान करें. ब्रिटेन के समयानुसार मतदान आज सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक चलेगा और इसके तत्काल बाद से एक्जिट पोल आने लगेंगे.

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