वाशिंगटन : आम धारणा के उलट, एच-1बी वीजा पर अमेरिका आने वाले तकनीकी कर्मचारियों से देश में अनूठे उत्पाद विकसित करने के मामले में अल्पकाल में कोई खास लाभ नहीं दिखता वेतन का स्तर जरुर कम हो जाता है. यह बात एच1-बी वीजा पर हुए एक अध्ययन रपट में कही गयी है जबकि यह वीजा भारत के साफ्वेयर विशेषज्ञों में काफी लोकप्रिय है.
इस रपट के लेखकों ने कहा है, ‘हमने साबित किया है कि किसी कंपनी को एच-1बी वीजा देने से कंपनी के पेटेंट की संख्या या उसमें नौकरी के दूसरे अवसरों में बढोतरी नहीं होगी जैसा कि कंपनियां आम तौर पर दावा करती रहती हैं.’ यह अध्ययन तीन अर्थशास्त्रियों किर्क डोरान (नाट्रेडेम विश्वविद्यालय) एजेंक्जेंडर गेल्बर (कैलीफार्निया विश्वविद्यालय) और एडम आइसेन (अमेरिकी वित्त विभाग का कर विश्लेषण कार्यालय) ने किया है.
‘दी एफेक्ट्स ऑफ हाई-स्किल्ड इमिग्रेसन आन फर्म्स : एविडेंस फ्राम एच-1बी वीजा लाटरीज’ में यह वीजा हासिल करने वाली अमेरिकी फर्मों के पेटेंट के दावों और रोजगार के अवसरों का विश्लेषण किया गया है. रपट में कहा गया ‘कुल मिलाकर हमारा निष्कर्ष इसके आलोचकों के अनुरुप है जिसमें एच-1बी प्राप्त कर्मचारी कुछ हद तक अन्य कर्मचारियों की जगह लेते हैं और उन्हें वैकल्पिक कर्मचारियों के मुकाबले कम वेतन मिलता है और कंपनी का मुनाफा बढता है.’
उनका मानना है कि एच-1बी वीजा से कंपनी के रोजगार में कोई उल्लेखनीय बढोतरी नहीं होती. उन्होंने कहा ‘नये एच-1बी वीजा प्राप्त कर्मचारी अन्य कर्मचारियों के औसत रोजगार के अवसर कम करते हैं.’ नया अध्ययन उन रपटों के बिल्कुल उलट है जिसमें माना जाता है कि विदेशी कर्मचारी अपने काम के जरिए अमेरिकियों के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा करते हैं.
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