जमशेदपुर: इतिहास के पन्नों में कई ऐसी साहसी महिलाओं के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपनी कुल, परंपरा व मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. साथ ही साहस,धैर्य, वीरता, शौर्य और पराक्रम का एक आदर्श समाज के सामने रखा. उसी तरह कई ऐसी महिलाएं भी हैं जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेवारी का निर्वाहन करते हुए सफलता की ऊंचाइयों पहुंचीं तथा अनेक महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनीं.
ऐसी ही महिलाओं में से एक किरणमयी दे थीं जिनका पूरा जीवन त्याग, समर्पण और आदर्शो से ओत-प्रोत था. स्वतंत्रता सेनानी और चटग्राम विद्रोह के नायक स्वर्गीय सुरेश चंद्र की पत्नी किरणमयी दे ने एक ओर सिद्धांतों पर अडिग होकर जिंदगी जीने वाले अपने पति का हर कदम पर साथ दिया, वहीं घर-गृहस्थी को संभालते हुए अपने चारों बच्चों को मां का भरपूर प्यार दिया और उनमें बेहतर संस्कार डाले. साथ ही साहस, धैर्य, वीरता, शौर्य और पराक्रम का एक आदर्श समाज के सामने रखा. उन्होंने विपरीत परिस्थिति में धैर्य और साहस का परिचय देते हुए पति के व्यवसाय को उच्चतम शिखर पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभायी. किरणमयी दे के सहयोग,धैर्य और लगन से ‘श्रीलेदर’ के रूप में रोपा गया पौधा आज विशाल वृक्ष बन कर हजारों लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है. उन्होंने अपनी सोच और दृढ़ निश्चय से साबित कर दिया कि घर में रहने वाली महिला भी समाज सेवा कर सकती है और सैकड़ों-हजारों परिवारों के लिए आजीविका की व्यवस्था कर सकती है.
किरणमयी दे के जीवन से औरों को मिले प्रेरणा
मातृत्व के स्पर्श के साथ-साथ मां (किरणमयी) ने हमें सच्चाई और ईमानदारी की राह पर चलना सिखाया. विपरीत परिस्थिति में आत्मविश्वास को सुदृढ़ बनाये रखने की कला मां ने सिखायी. मां में हमने हमेशा ही एक तेजस्वी नारी का रूप पाया. उन्हीं के दिखाये मार्ग पर बढ़ते हुए गर्ल चाइल्ड को प्रोत्साहित करने का कार्यक्रम फिर से नये रूप में होगा.
-शेखर दे . निदेशक. श्रीलेदर्स कमानी सेंटर. बिष्टुपुर
गर्ल्स चाइल्ड प्रोत्साहन कैंपेन की हुई थी शुरुआत
श्रीलेदर्स के संस्थापक स्व. सुरेश चंद्र दे की पत्नी स्व. किरणमयी दे ने अपनी कुल, परंपरा व मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. वर्ष 2013 में उनकी 90वीं जन्म जयंती पर बिष्टुपुर स्थित कमानी सेंटर में जयंती मनाते हुए गल्र्स चाइल्ड प्रोत्साहन कैंपेन की शुरुआत की गयी थी. साथ ही, श्रीलेदर्स की ओर से पूरे माह को ‘किरण केयर माह’ के रूप में समर्पित किया गया था तथा ‘बेटी बचाओ अभियान’ का शंखनाद किया गया. शहर की तत्कालीन उपायुक्त हिमानी पांडेय के साथ-साथ डीबीएमएस की प्राचार्या रजनी शेखर एवं पर्वतारोही विनीता सोरेन ने हस्ताक्षर कर गर्ल चाइल्ड को प्रोत्साहित किया शहर की हर एक कोने में लगे हस्ताक्षर अभियान में कई महिलाएं, स्कूल व कॉलेज की छात्रएं हस्ताक्षर कर अभियान का हिस्सा बनीं.