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सिलीगुड़ी नगर निगम बोर्ड गठन का मामला
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव परिणाम आये करीब एक सप्ताह का वक्त होने चला है, लेकिन बोर्ड गठन को लेकर बनी जटिलता के खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. 47 सदस्यीय नगर निगम में 23 सीटें जीतकर वाम मोरचा सबसे बड़े गंठबंधन के रूप में उभरा है, लेकिन बहुमत […]
सिलीगुड़ी : सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव परिणाम आये करीब एक सप्ताह का वक्त होने चला है, लेकिन बोर्ड गठन को लेकर बनी जटिलता के खत्म होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
47 सदस्यीय नगर निगम में 23 सीटें जीतकर वाम मोरचा सबसे बड़े गंठबंधन के रूप में उभरा है, लेकिन बहुमत के लिए एक सीट की कमी हो जाने के कारण बोर्ड बनाने में वाम मोरचा नेताओं को भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.
पहले ऐसा लग रहा था कि निर्दलीय पार्षद अरविंद घोष उर्फ अमू दा का समर्थन लेकर वामो नेता बोर्ड बनाने में सफल रहेंगे. माकपा नेता तथा मेयर पद के उम्मीदवार अशोक भट्टाचार्य ने समर्थन को लेकर अमू दा को एक चिट्ठी भी लिखी है. अमू दा ने भी वाम मोरचा को समर्थन देने के प्रारंभिक संकेत दिये हैं. उसके बाद एक-दो दिनों में वाम मोरचा द्वारा बोर्ड गठन कर लिये जाने की संभावना थी, लेकिन कल रविवार से समीकरण में अचानक बदलाव आ गया है.
चुनाव परिणाम सामने आने के बाद भी नगर निगम बोर्ड गठन हेतु सरकारी अधिसूचना जारी नहीं होने तथा अचानक तृणमूल कांग्रेस द्वारा बोर्ड गठन के लिए सक्रिय हो जाने के बाद स्थिति तेजी से बदली है. कल तक जो वाम नेता बोर्ड गठन को लेकर काफी विश्वास में थे, अब उनका विश्वास भी डगमगाने लगा है.
यही वजह है कि वाम मोरचा के प्रमुख घटक दल माकपा ने प्लान बी पर काम शुरू कर दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, माकपा की पहली योजना अमू दा को साथ लेकर बोर्ड बनाने की है.
अमूदा यदि साथ नहीं आते हैं, तो कांग्रेस के प्रत्यक्ष समर्थन के बगैर बोर्ड बनाने की रणनीति पर काम हो रहा है. यह माकपा का प्लान बी है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, वाम मोरचा के नेताओं ने अभी तक बोर्ड गठन के लिए कांग्रेस से आधिकारिक तौर पर कोई समर्थन नहीं मांगा है.
हालांकि माकपा के बड़े आला नेता विजयी कांग्रेसी पार्षदों के संपर्क में हैं. वाम मोरचा के अंदर एक धड़ा जहां सीधे कांग्रेस से समर्थन लेने के पक्ष में है, वहीं दूसरा धड़ा कांग्रेस से दूरी बनाये रखना चाहता है.
यहां उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था और जीत हासिल हुई थी. बाद में मेयर पद पर विवाद के कारण कांग्रेस ने अकेले बोर्ड का गठन किया और 17 सीटों के साथ वाम मोरचा ने कांग्रेस बोर्ड का बाहर से समर्थन किया. वामो का एक धड़ा इस बार भी इसी समीकरण के तहत कांग्रेस से समर्थन लेने का इच्छुक है.
जिस प्लान बी पर काम हो रहा है उसके अनुसार बोर्ड गठन के लिए अधिसूचना जारी होते ही वाम मोरचा पहले बोर्ड गठन करे और उसके बाद शक्ति परीक्षण में अपना बहुमत साबित करे. सूत्रों ने बताया है कि इस योजना के तहत माकपा नेताओं की कांग्रेस के आला नेताओं के साथ बातचीत भी हुई है. कांग्रेस का मानना है कि तृणमूल से मुकाबले के लिए जरूरी है कि वाम मोरचा की अप्रत्यक्ष रूप से मदद की जाये. संभवत: इसी योजना के तहत बातचीत करने के लिए कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा विधायक शंकर मालाकार कोलकाता गये हुए हैं.
कांग्रेसी सूत्रों ने बताया है कि शक्ति परीक्षण के दिन कांग्रेस के चारों पार्षद अनुपस्थित रहेंगे. अगर चारों पार्षद अनुपस्थित रहते हैं तो 47 में से 43 पार्षद मौजूद रहेंगे. ऐसे में बहुमत साबित करने के लिए वाम मोरचा को 22 पार्षदों की आवश्यकता होगी. जबकि वाम मोरचा के पास पहले से ही 23 पार्षद हैं. सूत्रों ने आगे बताया है कि इस योजना पर आगे काम हो रहा है. हालांकि इस मुद्दे पर न तो कांग्रेस और न ही वाम मोरचा के कोई नेता खुलकर कुछ बोल रहे हैं.
माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य का कहना है कि वाम मोरचा आसानी से बोर्ड का गठन कर लेगा. तृणमूल कांग्रेस और उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, उन्हें बोर्ड गठन में सफलता नहीं मिलेगी. दूसरी तरफ भाजपा ने भी साफ-साफ ऐलान कर दिया है कि उनके दोनों पार्षद बोर्ड बनाने में किसी का भी समर्थन नहीं करेगी.
क्या बन सकता है समीकरण
सिलीगुड़ी नगर निगम में कुल 47 सीटें हैं और इसमें से वाम मोरचा ने 23 सीटें जीती हैं. यदि निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद घोष उर्फ अमू दा वाम मोरचा का समर्थन करते हैं तो 24 सीटों का बहुमत स्वत: ही हासिल हो जायेगा.
यदि अमू दा वाम मोरचा का समर्थन नहीं करेंगे, तो कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से वामो की मदद करेगी. शक्ति परीक्षण के दिन कांग्रेस के चार पार्षद मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे और पार्षदों की संख्या 47 से घटकर 43 हो जायेगी. ऐसे में वाम मोरचा को बहुमत के लिए 22 पार्षदों के समर्थन की आवश्यकता होगी और वाम मोरचा के पास 23 पार्षद हैं.
पार्षदों को बनाये रखना बड़ी चुनौती
वाम मोरचा ने भले ही निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थन नहीं मिलने की स्थिति में प्लान बी पर काम शुरू कर दिया हो, लेकिन जिस कांग्रेस से अप्रत्यक्ष सहयोग मिलेगा, उसके पार्षदों को पार्टी में बनाये रखना सबसे प्रमुख चुनौती है.
तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह सभी वाम विरोधी पार्षदों को साथ में लेकर नगर निगम बोर्ड बनाने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस के चारों पार्षद पार्टी में बने रहेंगे या टूट जायेंगे, इसको लेकर भी तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती अपने पार्षदों को साथ बनाये रखना भी है.
क्या है स्थिति
सिलीगुड़ी नगर निगम के कुल 47 सीटों में से वाम मोरचा को 23, तृणमूल कांग्रेस को 17, कांग्रेस को 4 , भाजपा को 2 तथा निर्दलीय को एक सीट मिली है.
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