नयी दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल के पहले तीन महीनों में मनी लांड्रिग के मामलों में 5,346 करोड रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं जो काले धन की जांच की उसकी ‘उच्च प्राथमिकता’ को दर्शाती है. दिसंबर तक एजेंसी ने मनी लांड्रिग निरोधक कानून के तहत कुल 3,657 करोड रुपये की परिसंपत्तियां कुर्क की थीं. ताजा कुर्की आदेशों के साथ प्रवर्तन निदेशालय ने 2014-15 में पिछले वर्षों के रिकार्ड को तोडते 9,000 करोड रुपये से अधिक की संपत्तियां कुर्क कीं हैं.
प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख राजन कटोच ने यहां ‘प्रवर्तन दिवस’ पर कहा, ‘नयी सरकार के सत्ता में आने और काले धन की समस्या से निपटने को सर्वोच्च प्राथमिकता दिये जाने से ईडी पिछले साल काफी व्यस्त रहा. मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमारे कर्मचारियों के समर्पित प्रयास ने हमने इस मामले में पिछले साल से बेहतर प्रदर्शन किया है.’ कटोच ने बताया कि एजेंसी ने 2014-15 में हवाला व मनी लांड्रिंग से संबंधित 1,918 मामलों में जांच पूरी की.
इससे पिछले साल 1,836 मामलों में जांच पूरी की गई थी. साल के दौरान 2,000 प्रारंभिक जांच पूरी की गईं. उन्होंने कहा कि विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के लंबित मामलों में भी पिछले साल उल्लेखनीय रूप से कमी आई है. पिछले साल मनी लांड्रिंग से सम्बद्ध 3,657 करोड रुपये की परिसंपत्तियां कुर्क की गईं. इससे पिछले साल यह आंकडा 1,773 करोड रुपये रहा था.
प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख ने कहा, ‘कुल कुर्क की गई संपत्तियों का आंकडा अब 9,000 करोड रुपये पर पहुंच गया है. 2012-13 में हमने 11 अभियोजन दायर किए थे. 2013-14 में यह आंकडा 55 और 2014-15 में 69 पर पहुंच गया.’ 2013-14 में कुल 1,773 करोड रुपये की परिसंपत्तियां कुर्क की गई थीं. कटोच ने अपने विभाग में जवाबदेही व पारदर्शिता बढाने के लिए कुछ नये प्रोटोकॉल बनाये हैं.
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय का लक्ष्य उचित व मजबूती से जांच को आगे बढाना है. उन्होंने कहा, ‘जनता का भरोसा व विश्वसनीयता हमारी सबसे बडी उपलब्धियां हैं. मैं इस बात का उल्लेख करना चाहूंगा कि साल के दौरान हमने ईमानदारी, जवाबदेही, प्रतिबद्धता, श्रेष्ठता तथा निष्पक्षता के अपने मूल सिद्धान्तों को आगे बढाया. हमने कुछ आंतरिक प्रोटोकाल तय किये हैं.’
ईडी के निदेशक ने हालांकि कहा कि एजेंसी के समक्ष सबसे बडी चुनौती श्रमबल की कमी की है. उसे बडी संख्या में कालाधन मामलों की जांच करनी पड रही है. कटोच ने कहा कि श्रमबल की नियुक्ति व उन्हें रोकना आज सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. उन्होंने कहा कि ये अच्छे नतीजे बडी संख्या में रिक्तियों व साल के दौरान कर्मचारियों की संख्या में कमी के बावजूद हासिल किये गये हैं.
कटोच ने कहा, ‘यदि हमारे पास पूरा श्रमबल होता तो सोचिये हम क्या हासिल करते.’ कटोच ने कहा कि उन्होंने इस मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली व राजस्व सचिव शक्तिकांत दास से हस्तक्षेप की मांग की है.
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