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2जी प्रकरण : सीलबंद लिफाफे की जानकारी लीक होने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे में उसे सौंपे गये 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में हस्तक्षेप की कथित घटना से संबंधित व्यक्ति का नाम लीक होने पर आज गहरी चिंता व्यक्त की. प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू ने 2जी प्रकरण में सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के के […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीलबंद लिफाफे में उसे सौंपे गये 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में हस्तक्षेप की कथित घटना से संबंधित व्यक्ति का नाम लीक होने पर आज गहरी चिंता व्यक्त की.

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू ने 2जी प्रकरण में सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल से सवाल किया, सीलबंद लिफाफे में दिया गया नाम कुछ समाचार पत्रों तक कैसे पहुंचा. नाम लीक होने का यह मामला एक कंपनी में एक व्यक्ति की भूमिका पर पर्दा डालने के आरोपी के कथित प्रयास से संबंधित है.
न्यायालय ने कहा, इससे नाम ही मलिन नहीं हुआ बल्कि जिंदगी में पेशा, भविष्य और संभावना भी प्रभावित हुयी है. इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरु होते ही प्रधान न्यायाधीश ने कहा, मैंने अपने कोर्ट मास्टर को आडे हाथ लिया और उनमे से एक तो रो रहा था. इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह हमारी ओर से नहीं हो रहा था. वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश से सहमति व्यक्त की लेकिन साथ ही कहा, यह बार-बार हो रहा है. उन्होंने कथित व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये ऐसी घटनाओं की जांच का सुझाव दिया और कहा कि इससे ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.
उन्होंने इसी तरह की एक और घटना का जिक्र किया जब तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने इस तरह की खामी को बंद करने का प्रयास किया लेकिन इसके अपेक्षित नतीजे नहीं निकले. प्रधान न्यायाधीश ने संक्षिप्त चर्चा के बाद कहा कि 2जी मामले से उत्पन्न प्रकरण पर गौर करने के लिये यह उचित पीठ नहीं है और इस पर 23 जुलाई को सुनवाई को विशेष पीठ गठित की जायेगी.
वेणुगोपाल ने 20 अप्रैल को इस प्रकरण की सीबीआइ जांच मे हुयी प्रगति की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश की थी. ऐसा करते समय उन्होंने रिपोर्ट का एक अंश पढा था और कहा था कि जांच एजेन्सी को एक आडियो टेप मुहैया कराया गया है जिसकी सत्यता की पुष्टि हो गयी है कि कंपनी से संबंधित व्यक्ति ने कथित रुप से रिश्वत देने का प्रयास किया.
इस तरह की कथित घटना में संलिप्त व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), धारा 193 (झूठे साक्ष्य देना), 201 (साक्ष्य नष्ट करना), 465 (जालसाजी), 467 (कीमती प्रतिभूतियों की जालसाजी) और 486 (नकली सपंति चिन्ह के साथ सामान बेचना) के तहत मामला बना है. उन्होंने कहा था कि 2जी प्रकरण में मुकदमे का सामना कर रहे इन्हीं आरोपियों के खिलाफ नई प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.

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