फोटो- आशुतोषसंवाददाताभागलपुर : स्थानीय कला केंद्र में आयोजित परिधि सृजन मेला के दूसरे दिन बुधवार को मुक्ति निकेतन, घोघा की ओर से प्रथम पुरस्कार प्राप्त नाटक ‘अंतिम चैप्टर’ की प्रस्तुति हुई. आज के दौर में सफलता का नशा किस कदर लोकतंत्र से फासीवाद की ओर बढ़ती है, कैसे लोकतंत्र का दम घुटने लगता है, नाटक इसी बिंदु पर केंद्रित था. जनचेतना जगाती नाटक अंतत: नेता को जनता की शरण में भेज सुकून देता है. पुरुषोत्तम प्रभाकर के इस नाटक को सुभाष व आदित्य रंजन ने निर्देशित किया था. माइम के द्वारा भूमि अधिग्रहण व किसानों का दर्द दिखाया गया. लोक नृत्य में प्रथम पुरस्कार प्राप्त जट-जटिन की भी मनोरम प्रस्तुति हुई. वैकल्पिक फिल्मों के तहत बाल यौन-शोषण पर केंद्रित ‘अम्मू व अमन के दोस्त’ फिल्म दिखायी गयी. मुख्य अतिथि स्वरूप पहुंचे टीएमबीयू के कुलपति प्रो आर एस दुबे ने कला प्रदर्शनी को खूब सराहा. उन्होंने कहा कि ऐसी कलाओं को गढ़ने व कलाकारों को अवसर देने का कार्य कला केंद्र व परिधि जैसे संस्थान ही करते हैं, जोकि प्रशंसनीय है. डॉ पीबी मिश्रा, रामलखन गुरुजी, सुलग्ना भौमिक मुखर्जी, विजय कुमार, अमृता कौशल, कृष्ण कुमार, अनिल कुमार आदि की पेंटिंग्स को कला प्रेमियों ने काफी पसंद किया. कला प्रदर्शनी का आनंद उठाने विवि कुलसचिव डॉ विलक्षण रविदास, प्रो फारूक अली, डॉ योगेंद्र, राजीवकांत मिश्रा, यासमीन बानो, दीपू, अवधेश आदि पहुंचे थे.
‘अंतिम’ चैप्टर को ‘पहला’ पुरस्कार
फोटो- आशुतोषसंवाददाताभागलपुर : स्थानीय कला केंद्र में आयोजित परिधि सृजन मेला के दूसरे दिन बुधवार को मुक्ति निकेतन, घोघा की ओर से प्रथम पुरस्कार प्राप्त नाटक ‘अंतिम चैप्टर’ की प्रस्तुति हुई. आज के दौर में सफलता का नशा किस कदर लोकतंत्र से फासीवाद की ओर बढ़ती है, कैसे लोकतंत्र का दम घुटने लगता है, नाटक […]
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