नयी दिल्ली :केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की प्रमुख 100 स्मार्ट सिटी परियोजना को मंजूरी दे दी. इसके अलावा नये शहरी नवीकरण मिशन को भी हरी झंडी दी गई है. इन परियोजनाओं पर कुल एक लाख करोड रुपये का खर्च आएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 100 स्मार्ट शहरों के विकास के लिए ‘स्मार्ट सिटीज मिशन’ तथा 500 शहरों के लिए शहरी रुपांतरण एवं नवीनीकरण अटल मिशन (अमरत) को मंजूरी दी गई.
शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन परियोजनाओं पर क्रमश: 48,000 करोड रुपये व 50,000 करोड रुपये का खर्च आएगा. स्मार्ट सिटी प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसका मकसद शहरों को रहने के अधिक योग्य बनाना और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देना है. इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत चुने गये प्रत्येक शहर को पांच साल तक हर वर्ष 100 करोड रुपये की केंद्रीय सहायता मिलेगी.
‘अमरत’ एक प्रकार से जवाहर लाल नेहरु राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएलएलयूआरएम) का ही नया अवतार है, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर है. कैबिनेट ने जेएनएनयूआरएम के तहत आवंटित ऐसी परियोजनाएं जो पूरी नहीं हो पाई हैं उनको ‘अमरत’ के तहत केंद्रीय सहायता की मंजूरी दी है. जेएनएनयूआरएम की ऐसी परियोजनाएं जिन्हें 2005 से 2012 के दौरान मंजूरी मिली है और जिनमें 50 प्रतिशत प्रगति हासिल हुई है, जिनमें 2012-14 के दौरान केंद्रीय सहायता की 50 फीसद राशि ली गई है, को मार्च, 2017 तक केंद्र से मदद मिलेगी.
विज्ञप्ति के अनुसार, इसी के अनुरुप 102 और 296 परियोजनाओं को शेष वित्तपोषण के लिए केंद्रीय मदद मिलेगी. स्मार्ट सिटी बनने की चाह रखने वालों का चयन ‘सिटी चैलेंज प्रतियोगिता’ के जरिये किया जाएगा. प्रत्येक राज्य कुछ निश्चित संख्या में नियमों के तहत ऐसे शहरों का चयन करेगा और वे स्मार्ट सिटी प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसे केंद्रीय मदद के लिए आगे भेजा जाएगा.
अगले पांच साल के लिए इन दो मिशनों के तहत केंद्रीय खर्च आपस में संबद्ध है और यह इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि जेएनएनयूआरएम के लिए 2005 से 2014 के दौरान 42,900 करोड रुपये के योजना व्यय को मंजूरी दी गई है. इसमें से सिर्फ 36,398 करोड रुपये की केंद्रीय सहायता जारी की गई है. जेएनएनयूआरएम से अलग हटते हुए केंद्र सरकार व्यक्तिगत परियोजनाओं का आकलन नहीं करेगी. 10 लाख तक की आबादी के शहरों व कस्बों के लिए केंद्रीय सहायता परियोजना लागत का 50 फीसद तक होगी.
वहीं 10 लाख से अधिक आबादी के शहरों को परियोजना लागत पर एक-तिहाई केंद्रीय सहायता दी जाएगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज की मंजूरी के बाद अगले पांच साल में शहरी क्षेत्रों में दो लाख करोड रुपये तक का प्रवाह आएगा. राज्यों व स्थानीय निकायों को 50 से 66 प्रतिशत तक संसाधन जुटाने होंगे. यही नहीं राज्य और शहरी स्थानीय निकाय पीपीपी माडल के तहत उल्लेखनीय मात्रा में निजी निवेश जुटाएंगे जिससे परियोजना की लागत को पूरा किया जा सके.
स्मार्ट सिटी कार्रवाई योजना के लिए प्रत्येक शहर के लिए विशेष इकाई (एसपीवी) का गठन किया जाएगा. परियोजना के क्रियान्वयन के लिए शहरी स्थानीय निकाय, राज्य सरकार व केंद्र के बीच एसपीवी के लिए दस्तखत किये जाएंगे. देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने के पीछे उपलब्ध संसाधनों और ढांचागत सुविधाओं का कुशल और स्मार्ट निदान अपनाने को प्रोत्साहित करना मकसद है ताकि शहरी जीवन को बेहतर बनाया जा सके तथा स्वच्छ एवं बेहतर परिवेश उपलब्ध कराया जा सके.
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