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पाकुड़ में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक
राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस कल रांची/पाकुड़ : देश भर में प्रत्येक वर्ष 30 अप्रैल को राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस मनाया जाता है.बाल श्रम मानवता के प्रति अपराध और बाल अधिकारों का हनन है. यह बच्चों को शिक्षा के अधिकार और शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास से वंचित करता है. यूनिसेफ झारखंड के प्रमुख, […]
राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस कल
रांची/पाकुड़ : देश भर में प्रत्येक वर्ष 30 अप्रैल को राष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस मनाया जाता है.बाल श्रम मानवता के प्रति अपराध और बाल अधिकारों का हनन है. यह बच्चों को शिक्षा के अधिकार और शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक विकास से वंचित करता है. यूनिसेफ झारखंड के प्रमुख, श्री जॉब जाकारिया कहते हैं- ‘‘ बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए पांच प्रमुख रणनीति हैं.
इनमें सबसे प्रभावी रणनीति गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता को बेहतर बनाना है. यदि 6-14 वर्ष के सभी बच्चे नियमित स्कूल जाएं तो राज्य में एक भी बाल मजदूर नहीं रहेंगे’’
दूसरा, आर्थिक रूप से अक्षम और कठिन परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों की देखभाल के लिए स्पॉन्सरशिप एंड फॉस्टर केयर जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को विस्तार देने की जरूरत है.
समेकित बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) के स्पॉन्सरशिप एंड फॉस्टर केयर कार्यक्रम के तहत कठिन परिस्थितियों में जीने वाले परिवारों के बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रति बच्च प्रति माह 2000 रूपए तक की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है. ताकि बच्चों को बाल श्रम से बचाया जा सके या जो बच्चे मजदूरी कर रहे हैं, उन्हें पुनर्वासित किया जा सके.
तीसरा, बाल श्रम सामाजिक रूप से अस्वीकार्य होना चाहिए क्योंकि यह बच्चों के खिलाफ अपराध और उनके अधिकारों का हनन है. उन्होंने कहा कि समाज में बाल श्रम के खिलाफ मानदंड बनाने के लिए सामाजिक तौर पर लोगों को एकजुट करने की जरूरत है. ग्राम स्तर पर एक सक्रिय और जागरूक बाल अधिकार समिति बाल श्रम, बाल विवाह और बाल तस्करी पर रोक लगा सकता है.
बाल श्रम के उन्मूलन के अन्य उपायों में शामिल है-(क) शिक्षा और बाल श्रम से संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू करना (ख) सभी गांवों में जागरूक बाल सुरक्षा समितियों की स्थापना करना.
जनगणना 2001 के अनुसार, झारखंड में 5-14 वर्ष आयु के तकरीबन 4 लाख बाल मजदूर थे. वहीं, वार्षिक स्वास्थ्य सर्वे (एएचएस) 2012-13 के अनुसार, 5-14 वर्ष आयु के 2़5 प्रतिशत बच्चे झारखंड में कामकाजी हैं.
एएचएस 2012-13 के अनुसार, झारखंड के जिन जिलों में बाल मजदूरी का प्रतिशत सबसे अधिक है, वे हैं – पाकुड़ – 6.9 प्रतिशत, साहेबगंज – 4. 7 प्रतिशत, पश्चिमी सिंहभूम – 4.2 प्रतिशत और गोड्डा – 3.8 प्रतिशत. बाल श्रम का प्रतिशत बड़े और औद्योगिक जिलों में कम है. ये जिले हैं, बोकारो -1.3 प्रतिशत, धनबाद- 14 प्रतिशत, पूर्वी सिंहभूम – 1.5 प्रतिशत, कोडरमा -1.6 प्रतिशत, हजारीबाग-1.9 प्रतिशत, गढ़वा- 21 प्रतिशत, रांची- 2.2 प्रतिशत, पलामू- 2.3 प्रतिशत, दुमका-2.4 प्रतिशत, लोहरदगा – 2.5 प्रतिशत, गिरिडीह, गुमला और चतरा- 2.6 प्रतिशत और देवघर में 3.1 प्रतिशत है.
बाल श्रम निषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 के तहत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को 18 व्यवसायों और 65 प्रक्रियाओं में रोजगार/नियोजन का निषेध करता है. कोई भी व्यक्ति जो बच्चों को इन व्यवसायों में नियोजित करता है या रोजगार देता है, उसे 3 महीने से 1 साल तक की कैद और 10,000 से 20,000 रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है.
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