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बढ़ती आबादी है समस्याओं की जड़
समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के विचारों का अध्ययन करने के बाद मन में एक ही बात उभर कर आती है कि आज पूरे विश्व में सारी समस्याओं की जड़ बढ़ती आबादी है. जनसंख्या की अतिवृद्धि ने इस धराधाम पर कई प्रकार की समस्याओं को पैदा कर दिया है. आबादी के भोजन, वस्त्र और आवास के […]
समाजवादी चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा के विचारों का अध्ययन करने के बाद मन में एक ही बात उभर कर आती है कि आज पूरे विश्व में सारी समस्याओं की जड़ बढ़ती आबादी है. जनसंख्या की अतिवृद्धि ने इस धराधाम पर कई प्रकार की समस्याओं को पैदा कर दिया है. आबादी के भोजन, वस्त्र और आवास के लिए धरातल की जरूरत होती है. उसमें भी उपजाऊ और बंजर भूमि मुख्य रूप से आधार बनती है.
आवास के लिए जंगल काट कर घर बनाये जा रहे हैं, तो कृषियोग्य भूमि पर नये-नये निर्माण किये जा रहे हैं. वैश्विक विकास की अंधी दौड़ में कल-कारखानों के निर्माण के लिए जंगल ही काटे जा रहे हैं.
अभी मानव उतना विकसित नहीं हुआ है कि अंतरिक्ष में कारखाने स्थापित कर सके. जब जंगल कटेंगे, तो प्रदूषण बढ़ने के साथ ही ग्लोबल वार्मिग, अनियमित मॉनसून, बीमारियों का प्रकोप और कुपोषण आदि समस्याओं से दो-चार तो होना ही पड़ेगा. पहले आबादी कम थी, तो जैविक खाद से काम चल जाता था, परंतु बढ़ती आबादी का पेट भरने की खातिर पैदावार में वृद्धि के लिए रासायनिक खादों का प्रयोग जरूरी हो गया है. मानव की गलती यह है कि वह पेड़ काटने के पांच साल पहले पौधारोपण का कार्य नहीं करता है.
यह सही है कि आप जितने अधिक पेड़ लगायेंगे, पर्यावरण का उतना ही संरक्षण होगा और लाभ उससे कहीं अधिक मिलेंगे. यह बात सही है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से संसार में सुविधाएं तो बढ़ी हैं, लेकिन समस्याओं में भी वृद्धि हुई है.
नतीजतन, नदी, तालाब, समुद्र, धरातल और आकाश में प्रदूषण की मात्र बढ़ती गयी. आज लोगों के विकास की जरूरततो है, लेकिन पर्यावरण और प्रकृति को ध्यान में रख कर विकास किया जाये.
चंद्रभूषण प्रसाद वर्मा, दुमदुमा, सारण
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