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बड़े झटके नहीं झेल पायेगी टिल्हा कोठी

-भूकंप के बाद पिलर में दरार-विभाग के समन्वयक का है कहना-छत हो चुकी है कमजोर-विवि के इंजीनियर का है कहना-भूकंप से नहीं आयेगी समस्याफोटो : मनोजवरीय संवाददाता, भागलपुरतिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय स्थित ऐतिहासिक स्थल टिल्हा कोठी भूकंप के बड़े झटके सहन नहीं कर पायेगी. शनिवार व रविवार को आये भूकंप के बाद टिल्हा कोठी के पिलरों […]

-भूकंप के बाद पिलर में दरार-विभाग के समन्वयक का है कहना-छत हो चुकी है कमजोर-विवि के इंजीनियर का है कहना-भूकंप से नहीं आयेगी समस्याफोटो : मनोजवरीय संवाददाता, भागलपुरतिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय स्थित ऐतिहासिक स्थल टिल्हा कोठी भूकंप के बड़े झटके सहन नहीं कर पायेगी. शनिवार व रविवार को आये भूकंप के बाद टिल्हा कोठी के पिलरों में दरार आ गयी है. ब्रिटिश शासनकाल में 20वीं शदी के दूसरे दशक के आसपास बने यूरोपियन शैली का यह भवन कमजोर हो गया है. टिल्हा कोठी में स्थित प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के को-ऑर्डिनेटर डॉ अरुण कुमार झा ने बताया कि शनिवार को आये भूकंप के दौरान सभी शिक्षक विभाग में ही थे. घर के लोगों ने भूकंप के झटके की जो तीव्रता का अनुभव किया, उससे कहीं अधिक उनलोगों ने विभाग में किया था. उन्होंने बताया कि टिल्हा कोठी की दीवारें काफी मोटी हैं, लेकिन छत बहुत ही कमजोर दिखती है. इसकी मरम्मत जरूरी है. इस विभाग में तकरीबन 200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. टिल्हा कोठी में स्थित क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र में भी कई शिक्षक रहते हैं. कोठी के ठीक बगल में कुछ कर्मचारियों का आवास है. दूसरी ओर विवि के अभियंता मो हुसैन का कहना है कि टिल्हा कोठी की मरम्मत 1987 में की गयी थी. उस समय डॉ इकबाल बहादुर कुलपति थे. उन्होंने बताया कि वर्ष 1934 और 1989 के भूकंप को यह भवन झेल चुका है. ऐसे में भूकंप के झटकों से इसे कुछ नहीं होगा.

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