नयी दिल्ली : बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान और खुदकुशी के मामलों पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार परेशान किसानों को उदारता से राहत देने के लिए और अधिक कदम उठाएगी. उन्होंने कहा, ‘जहां तक तात्कालिक समस्या की बात है, तो आपको राहत बांटने में उदार होना पडेगा तथा उदार होने के लिए हमने पहली चीज यह की कि संप्रग सरकार के दौरान दी गयी सहायता राशि को 50 प्रतिशत बढा दिया.’
जेटली ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि यह पर्याप्त नहीं है. मैं व्यक्तिगत रूप से और अधिक देने का पक्ष लूंगा और मैं सभी को विश्वास दिला सकता हूं कि 50 प्रतिशत बढोतरी पहला कदम है और कई अन्य कदम उठाये जा रहे हैं.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान के लिए किसानों को अधिक मुआवजे की घोषणा की थी और सरकारी सहायता पाने के मानदंड को कम किया था. इसके तहत किसानों को डेढ गुना मुआवजा राशि दी गयी है.
मोदी ने कहा था, ‘अगर पहले किसान को 100 रुपये का मुआवजा मिल रहा था तो अब उसे 150 रुपये मिलेंगे.’ पिछले महीने हुई बेमौसम बारिश और ओले गिरने से देश के अनेक हिस्सों में किसानों की फसल बडे स्तर पर बर्बाद हो गयी और पीडित किसानों की खुदकुशी के भी कई मामले सामने आये हैं. जेटली ने कहा, ‘आपको दीर्घकालिक समाधान देखने होंगे. समस्या की जड में जाना होगा.’
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में और अधिक रोजगार निर्माण करना तथा यथास्थिति को बदलना है. भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित करने के लिए संसद के संयुक्त सत्र की संभावना पर जेटली ने कहा कि वह चाहेंगे कि राज्यसभा विधेयक को मंजूरी दे. उन्होंने प्रावधानों में सुधार के सुझाव शामिल करने में सरकार की ओर से इच्छा जताई.
उन्होंने कहा कि संविधान में संयुक्त सत्र के लिहाज से प्रावधान दिया गया है और सरकार इसे अपनाने के लिए स्वतंत्र है. मंत्री ने कहा, ‘यह पहला संयुक्त सत्र नहीं होगा और न ही आखिरी होगा.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि इसकी जरुरत नहीं पडेगी. विधेयक कॉर्पोरेट हितैषी होने के आरोपों को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि विधेयक का विरोध कर रहे लोग वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में विकास में रोडा बन रहे हैं.