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नयी पार्टी राजद-पप्पू बनायेंगे पप्पू यादव

पटना : राष्ट्रीय जनता दल और उसके सांसद राजेश उर्फ पप्पू यादव के रास्ते स्पष्ट रूप से दो हो गये हैं. शोकॉज पूछे जाने के बाद तो यह तसवीर और साफ हो गयी है. राजद से नहीं निकाले गये और राजद का जनता परिवार में विलय हुआ तो उनकी कोशिश राजद व उसके सिंबल लालटेन […]

पटना : राष्ट्रीय जनता दल और उसके सांसद राजेश उर्फ पप्पू यादव के रास्ते स्पष्ट रूप से दो हो गये हैं. शोकॉज पूछे जाने के बाद तो यह तसवीर और साफ हो गयी है. राजद से नहीं निकाले गये और राजद का जनता परिवार में विलय हुआ तो उनकी कोशिश राजद व उसके सिंबल लालटेन को जिंदा रखने की होगी.
जिस तरह से समता पार्टी के विलय के बाद पीके सिन्हा ने पार्टी को अपने पास रखा. जानकारी के मुताबिक पप्पू यादव राजद से निकाले जाने की स्थिति में राष्ट्रीय जनता दल (पप्पू) नाम से राजनीतिक दल बनाने के विकल्प पर गौर कर रहे हैं. जानकारों का कहना है कि वे न तो हम मोरचा में शामिल होंगे और नहीं किसी अन्य दल में. चुनावी गणित के अनुसार पप्पू यादव गंठबंधन कर सकते हैं. उनको भरोसा है कि जो लोग नीतीश- लालू व भाजपा को नापसंद करते हैं, वैसे लोगों का समर्थन उनको मिलेगा.
कोसी और सीमांचल इलाके में कदम-कदम पर पप्पू यादव के धूर विरोधियों की जमात खड़ी है. पूरे इलाके में भाजपा अब तक पप्पू यादव को आतंक का सिंबल मान कर चुनाव मैदान में उतरते रही है. ऐसे में राजद से निकाले जाने के बाद अकेले अपने दम पर पप्पू यादव को अपनी राजनीति की गाड़ी भगाने की सबसे बड़ी चुनौती है.
युवा शक्ति को आधार बना कर पप्पू यादव ने अपना राजनीतिक कार्यक्रम आरंभ कर दिया है. बिहार में चिकित्सकों, पैथोलॉजी क्लिनिक और अन्य मुद्दों को लेकर उन्होंने अक्तूबर, 2014 से कई जन अदालतें लगायी हैं. अपने एजेंडे पर चल रहे पप्पू यादव जदयू सरकार को समर्थन देने के मामले पर खुले रूप से पार्टी नेतृत्व के विरोध में भी दिखने लगे. जीतन राम मांझी को जदयू ने नेता मानने से इनकार कर दिया तो पप्पू यादव खुले रूप से मांझी के समर्थन में आ गये. जनता परिवार के विलय को लेकर उन्होंने अपनी सीधी लकीर खींच ली है. पप्पू समर्थकों का मानना है कि राजद का विलय होता है तो विलय के उस पत्र पर एक सांसद की हैसियत से किसी भी कीमत में पप्पू यादव हस्ताक्षर नहीं करेंगे.
पप्पू यादव व उनके समर्थकों का यह दावा है कि सीमांचल, कोसी व अंग उनका प्रभाव क्षेत्र हैं. तकरीबन तीस से 35 सीटों पर पप्पू यादव महागंठबंधन और भाजपा के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं. इसके बावजूद खबर है कि अपने संगठन के बल पर पप्पू सेना के जवान बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे जायेंगे. मधेपुरा जिला को पूरी तरह से अपना आधार क्षेत्र मानते हुए पप्पू समर्थकों का दावा है कि विधानसभा चुनाव में उनके उम्मीदवारों को विजय मिलेगी. इस क्षेत्र में मधेपुरा, सहरसा, सोनवर्षा, आलमनगर, सिमरी बख्तियारपुर, सिंहेश्वर स्थान और बिहारी गंज जैसे क्षेत्र आते हैं. मधेपुरा में शरद यादव इनके विरोध में हैं.
साथ ही इस क्षेत्र के जदयू के बागी विधायक नीरज कुमार बबलू और भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना को भी इनका कट्टर विरोधी माना जाता है. सुपौल में त्रिवेणीगंज, छातापुर, सुपौल, पीपरा, राघोपुर, निर्मली क्षेत्रों में उन्होंने अपने संगठन को मजबूत किया है.
यह क्षेत्र वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव का प्रभाव क्षेत्र का इलाका माना जाता है. खगड़िया इलाके पर भी पप्पू यादव की नजर है जहां पर उनके विरोधी रणवीर यादव होंगे. इस क्षेत्र में पप्पू यादव को दिनेश यादव के सहयोग की उम्मीद है. पूर्णिया क्षेत्र में भी पप्पू यादव अपने उम्मीदवार को उतारेंगे. हलांकि, मुसलिम बहुल होने के कारण यह क्षेत्र तस्लीमुद्दीन का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है.

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