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गुमला से 35 बच्चों को उठा ले गये नक्सली, हाइकोर्ट ने लिया संज्ञान

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुमला के बिशुनपुर से नक्सलियों द्वारा 35 बच्चों को उठा ले जाने के मामले का गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस विरेंदर सिंह और जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने गुमला के बिशुनपुर से नक्सलियों द्वारा 35 बच्चों को उठा ले जाने के मामले का गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस विरेंदर सिंह और जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने गुरुवार को प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों से एक हफ्ते में जवाब मांगा है.
कोर्ट ने इस मामले में सहयोग के लिए अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है. वहीं केंद्र सरकार और राज्य सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव और झारखंड के पुलिस महानिदेशक को प्रतिवादी बनाया है. मामले में अगली सुनवाई एक मई को होगी.
गंभीर और हतप्रभ करनेवाली घटना
अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट पर अदालत का ध्यान आकृष्ट कराया. बताया कि गुमला जिले में नक्सली 35 बच्चों को उठा ले गये हैं. यह गंभीर और हतप्रभ करनेवाली घटना है.
नक्सली संगठन ने बाल दस्ता बनाने के लिए हर गांव से पांच-पांच बच्चे मांगे हैं. बिशुनपुर प्रखंड के करचा, कुमाड़ी, निरासी, हरैया, बोरहा, टेमर करचा व हपाग गांव से छह माह के अंदर 35 बच्चों को जबरन ले जाया गया है.
करचा गांव से नक्सलियों ने 10 से 13 वर्ष की पांच बच्चियों को साथ ले गये हैं. नक्सलियों के डर से ग्रामीण इस मामले में प्राथमिकी तक नहीं दर्ज करा रहे हैं. नक्सलियों की वजह राज्य में विकास का काम प्रभावित हो रहा है. नक्सलियों ने चतरा, पलामू, गढ़वा, गिरिडीह, लातेहार, गुमला, रांची, हजारीबाग, लोहरदगा और बोकारो जिलों में अपनी पकड़ बना ली है.
नक्सलियों ने आइपीएस अमरजीत बलिहार और अजय सिंह की हत्या कर दी थी. नक्सलियों की धमकी के कारण कई जगहों पर सड़क निर्माण नहीं हो पा रहा है. राज्य में कई पर्यटक स्थल हैं, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पड़ते है. इसमें नेतरहाट, बेतला आदि शामिल हैं. नक्सलियों के डर पर्यटक इन क्षेत्रों में नहीं जाना चाहते हैं. नक्सल समस्या से निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ठोस पहल करने की जरूरत है.
मामला जनहित याचिका में तब्दील
सुमित गड़ोदिया एमिकस क्यूरी नियुक्त
गृह विभाग के प्रधान सचिव व डीजीपी को प्रतिवादी बनाया, एक मई को होगी मामले में अगली सुनवाई
देर रात मुख्यमंत्री ने डीजीपी के साथ की बैठक, दिया निर्देश
अभियान चलाकर बच्चों को करायें मुक्त
रांची : भाकपा माओवादी के नक्सलियों द्वारा गुमला के बिशुनपुर क्षेत्र से बच्चों उठा ले जाने के मामले पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुरुवार की रात डीजीपी डीके पांडेय के साथ बैठक की. बैठक में एडीजी अभियान एसएन प्रधान और एसटीएफ के एसपी साकेत सिंह भी उपस्थित थे. मुख्यमंत्री ने डीजीपी से पूछा कि बच्चों को लेकर मीडिया में जो बातें आ रही है, उसमें क्या सच्चई है.
यह बच्चों से जुड़ा संवेदनशील मामला है. इस मामले में पुलिस क्या कर रही है? पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि माओवादियों द्वारा बच्चों को ले जाने की सूचनाएं पुलिस को भी मिली है, लेकिन किसी बच्चे के अभिभावक द्वारा कोई शिकायत पुलिस के पास नहीं की गयी है. सूचनाएं जुटा कर नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि बच्चों के मामले में संवेदनशीलता बरतें.
उन्होंने निर्देश दिया कि अगर नक्सलियों के खिलाफ अभिभावक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराते हैं, तो पुलिस क्या कर सकती है. इस पर विचार करे विभाग. नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला कर बच्चों को उनके कब्जे से मुक्त करायें. बिशुनपुर इलाके से नक्सलियों को कैसे हटाया जाये, इसकी भी योजना तैयार करें.

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