रांचीः झारखंड में स्थानीयता के मुद्दे पर जारी गतिरोध के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने आज रघुवर दास को एक चिट्ठी लिखी है. गौरतलब है कि झारखंड में स्थानीयता को लेकर जारी गतिरोध के बीच झारखंड की नयी भाजपा सरकार के मुखिया रघुवर दास एक प्रस्ताव लेकर दिल्ली गये हुए हैं. अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो 1985 से झारखंड में रहने वाले लोग स्थानीय कहलाएंगे. इसी के आलोक में हेमंत सोरेन ने आज मुख्यंमंत्री को एक पत्र लिखा है.
इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए कई दौर की बैठकें भी हुई है. सीएम रघुवर दास ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन, विपक्ष और गंठबंधन के नेताओं के साथ भी बैठक की है.
हेमंत सोरेन ने पत्र में लिखा है कि स्थानीय नीति के निर्धारण के प्रति उनका प्रयास सराहनीय है . लेकिन अखबारों में छपी खबरों के आलोक में उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि आपके पार्टी के स्टैंड से यह संकेत मिल रहा है कि कहीं न कहीं मूलवासियों और आदिवासियों का हक और अधिकार छिनने की साजिश हो रही है. उन्होंने इसको लेकर पत्र में सरकार से कुछ सवाल किये है-
1. क्या सरकार स्थानीय नीति और नियोजन नीति अलग-अलग बनायेगी या स्थानीय नीति को अंतिम रुप देकर उसी के आधार पर नियुक्तियां की जायेगी ?
2. सरकार ये बताये कि राज्य गठन के बाद से स्थानीय या स्थायी निवासी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए क्या प्रशासनिक निर्देश दिये गये हैं ?
3. खतियान को नियुक्तियों के लिए आधार क्यों नहीं माना जा रहा है ?
4. जब खनन, उद्योग आदि विकास योजनाओं के लिए यहां कि आदिवासियों और मूलवासियों की जमीनें अधिग्रहित की गयी है तो फिर तीसरी और चौथी श्रेणी की नियुक्ति उनके लिए क्यों नहीं आरक्षित कर दी जा रही है ?
उन्होंने पत्र में आग्रह किया है कि सरकार झारखंड के मूलवासियों और आदिवासियों के हक और अधिकारों की रक्षा के प्रति संवेदनशीलता दिखायें.
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