नयी दिल्ली. लश्कर-ए-तैयबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 1997 में दर्ज विस्फोट के दो अलग-अलग मामलों के सिलसिले में बरी कर दिया. 73 वर्षीय टुंडा उन 20 आतंकवादियों में शामिल था जिन्हें भारत ने पाकिस्तान से 26/11 के मुंबई हमलों के बाद सौंपने को कहा था. अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के लिए कोई प्रथमदृष्टया सबूत नहीं है. एडीजे रीतेश सिंह ने टुंडा को जिन दो मामलों में बरी किया, वो 28 अक्तूबर, 1997 को करोलबाग में एक विस्फोट और एक अक्तूबर, 1997 को सदर बाजार में दो विस्फोटों से जुड़े हैं. करोलबाग विस्फोट में एक व्यक्ति मारा गया था और कई अन्य घायल हो गये. सदर बाजार विस्फोट में दो बम फटने से कई लोग घायल हो गये थे. टुंडा को टाडा कानून के सख्त प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं के तहत दर्ज एक मामले में एक अन्य अदालत ने भी पिछले महीने बरी कर दिया था. हालांकि, उसे जेल में रहना होगा क्योंकि उसके खिलाफ दिल्ली में एक और मामला लंबित है.
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सबूत के अभाव में टुंडा दो मामलों में बरी
नयी दिल्ली. लश्कर-ए-तैयबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा को दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 1997 में दर्ज विस्फोट के दो अलग-अलग मामलों के सिलसिले में बरी कर दिया. 73 वर्षीय टुंडा उन 20 आतंकवादियों में शामिल था जिन्हें भारत ने पाकिस्तान से 26/11 के मुंबई हमलों के बाद सौंपने को कहा था. […]
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