कमलजीत कमल का उपन्यास ‘आखर 84’ भी खूब पढ़ा गया. श्री कमल के मुताबिक छह महीने के अंदर ही इसका दूसरा संस्करण भी आ गया था. यह इतना लोकप्रिय हुआ कि पंजाबी में भी अनूदित किया गया. यह 1984 दंगे पर आधारित है. इसी तरह इनका कहानी संग्रह ‘प्यार के दो चार पल’ भी चर्चा में रही. यह भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन से प्रकाशित हुई. ‘प्यार के दो चार पल’ कहानी को बेस्ट ऑफ नया ज्ञानोदय में भी शामिल किया गया था. श्री कमल का कहना है कि पुरस्कृत किताबें निश्चत रूप से उनकी ब्रिकी में मददगार होती हैं. पुरस्कार पा जाने के बाद किताब का प्रचार होता है. लोगों का किताब पर ध्यान जाता है. लेखक भी लोकप्रिय हो जाते हैं. मैं भाषा में साहित्य का अच्छा भविष्य देखता हूं. मैं आशावादी हूं, बिल्कुल भी निराश हूं. कई बार लेखक क्षेत्रीय भाषा छोड़कर हिंदी में लिखने लग जाते हैं. इससे क्षेत्रीय भाषा पर मुझे संकट नहीं दिखायी देता. यह व्यक्ति व्यक्ति में वेरी करेगा. यह उनके स्वभाव पर है. वैसे पुरस्कार पा जाने के बाद लेखक का मनोबल जरूर बढ़ जाता है. कई बार घमंड भी आ जाता है लेकिन उसके लेखन में किसी तरह का अंतर नहीं दिखता. वह पहले जैसा लिखता था, अब भी वैसा ही लिखता है.
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पुरस्कार से होता है किताब का प्रचार : कमल
कमलजीत कमल का उपन्यास ‘आखर 84’ भी खूब पढ़ा गया. श्री कमल के मुताबिक छह महीने के अंदर ही इसका दूसरा संस्करण भी आ गया था. यह इतना लोकप्रिय हुआ कि पंजाबी में भी अनूदित किया गया. यह 1984 दंगे पर आधारित है. इसी तरह इनका कहानी संग्रह ‘प्यार के दो चार पल’ भी चर्चा […]
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