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बीआरए बिहार विवि: नपेंगे प्राचार्य, रद्द होंगी 65 नियुक्तियां
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के तीन अंगीभूत कॉलेजों में बीएड सेक्शन में बहाल 65 कर्मियों की नियुक्तियां रद होगी. ये नियुक्तियां सीएन कॉलेज साहेबगंज, एलएन कॉलेज भगवानपुर व टीपी वर्मा कॉलेज नरकटियागंज में एक साल पहले हुई थी. इसमें प्राचार्यो ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया था. यह खुलासा विवि प्रशासन द्वारा गठित जांच […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के तीन अंगीभूत कॉलेजों में बीएड सेक्शन में बहाल 65 कर्मियों की नियुक्तियां रद होगी. ये नियुक्तियां सीएन कॉलेज साहेबगंज, एलएन कॉलेज भगवानपुर व टीपी वर्मा कॉलेज नरकटियागंज में एक साल पहले हुई थी. इसमें प्राचार्यो ने नियम-कानून को ताक पर रख दिया था. यह खुलासा विवि प्रशासन द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट से हुई है. इन बहाल 65 कर्मियों के वेतन पर अब तक करोड़ों रुपये व्यय किये गये हैं. विवि प्रशासन ने प्राचार्यो से स्पष्टीकरण पूछा है. वहीं कार्रवाई की तैयारी भी की जा रही है.
सीएन कॉलेज में सर्वाधिक नियुक्ति
सीएन कॉलेज के बीएड सेक्शन में अन्य दोनों कॉलेजों से ज्यादा संख्या में कर्मियों की नियुक्ति की गयी थी. यहां कुल 27 कर्मी नियुक्त किये गये जिन पर करीब तीन-तीन लाख रुपये प्रति महीने वेतन मद में व्यय किये जा रहे थे. एलएन कॉलेज व टीपी वर्मा कॉलेज में 38 कर्मी बहाल किये गये. इन दोनों कॉलेजों में प्रति महीने वेतन मद में करीब ढाई-ढाई लाख रुपये खर्च किये जाने की बात बतायी गयी है. यानी तीनों कॉलेजों में प्रति महीने करीब आठ लाख रुपये वेतन मद में वारा-न्यारा किया गया है.
कहते हैं अधिकारी
प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया गया था. वे बताती हैं कि जांच रिपोर्ट कुलपति को सौंप दी गयी है. जांच में कई मामले सामने आये हैं.
जांच कमेटी में शामिल कुलानुशासक सह विवि के प्रवक्ता डॉ अजय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जांच रिपोर्ट में मामले उजागर हुए हैं. कार्रवाई का निर्णय कुलपति लेंगे.
सीएन कॉलेज, एलएन कॉलेज व टीपी वर्मा कॉलेज में बीएड मामले की जांच में कई मामलों का खुालासा हुआ है. जांच रिपोर्ट कुलपति को सौंप दी गयी है. आगे का निर्णय उन्हीं को लेना है. बहाली पूरी तरह फर्जी नहीं है. प्राचार्यो से स्पष्टीकरण पूछा गया है.
डॉ विवेकानंद शुक्ला,
कुलसचिव, बीआरए बिहार विवि
दोगुनी ली गयी फीस
इन कॉलेजों में छात्रों के शोषण का मामला भी सामने आया है. बावजूद इसके प्रवेश परीक्षा के आधार पर बीएड में छात्रों का नामांकन लिया गया. जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि विवि द्वारा निर्धारित फीस 50 हजार रुपये की जगह एक लाख रुपये से अधिक राशि फीस के नाम पर ली गयी. जांच कमेटी ने इस पर भी कड़ी आपत्ति जतायी है.
छात्र बन गये कर्मचारी
बीएड सेक्शन में नियुक्ति के लिए प्राचार्यो की मनमानी उजागर हुई है. एक तो बिना कुलपति के मुहर की बहाली कर दी गयी. करीब एक दर्जन से अधिक वैसी नियुक्तियां भी हुई, जो नियम के विपरीत है. कॉलेज के छात्र को ही कर्मचारी में बहाल कर दिया गया. उन्हें नियमित वेतन का भुगतान भी किया जाने लगा.
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