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जिस तरह से पौधे नष्ट हुए, उससे कम पौधे लगाये गये

फोटो सीटी में होगा मुजफ्फरपुर. इधर जिस तरह से मौसम में बदलाव हुए हैं, वह पिछले दो हजार साल में नहीं हुए थे. मौसम का बदलाव इस कदर हुआ है कि अभी अप्रैल माह में गरमी लगनी शुरू हो जानी चाहिए थी. लेकिन अभी भी हल्की ठंड लग रही है. यह बदलाव पौधों के नष्ट […]

फोटो सीटी में होगा मुजफ्फरपुर. इधर जिस तरह से मौसम में बदलाव हुए हैं, वह पिछले दो हजार साल में नहीं हुए थे. मौसम का बदलाव इस कदर हुआ है कि अभी अप्रैल माह में गरमी लगनी शुरू हो जानी चाहिए थी. लेकिन अभी भी हल्की ठंड लग रही है. यह बदलाव पौधों के नष्ट होने का कारण है. पहले जिस तरह से हरियाली थी, वह अब देखने को नहीं मिल रही है. जैसे-जैसे आबादी बढ़ती चली गयी है, पौधे की कटाई होनी शुरू हो गयी. नॉर्थ बिहार में जंगल की संख्या न के बराबर रह गयी है. थोड़े बहुत कहीं जंगल बचे हैं, वह भी नष्ट होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. जिस तरह से पेड़ नष्ट किये गये हैं, उस अनुपात में पेड़ की क्षतिपूर्ति नहीं की गयी है. पौधे के नष्ट होने से जलचक्र प्रभावित होना, भूगर्भ जल का स्तर नीचे चले जाना, खेती पर प्रभाव पड़ना, बे मौसम बरसात होना और ओले पड़ना. – प्रभात कुमार गुप्ता, मुख्य वन संरक्षक, प्रशासन व मानव संस्थान विकास पटना

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