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स्कूल बैग के बोझ से दबे जा रहे बच्चे, कोई नहीं देखनेवाला

लखीसराय : स्कूल बैग का बढ़ता बोझ बच्चों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. भारी स्कूल बैग को लेकर हर शिक्षण सत्र के पहले सीबीएसइ और आइसीएसइ पैटर्न स्कूलों को निर्देश दिये जाते हैं. इसके तहत उन्हें जानकारी दी जाती है कि स्कूली बैग का वजन कितना हो लेकिन अधिकांश स्कूलों के द्वारा […]

लखीसराय : स्कूल बैग का बढ़ता बोझ बच्चों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है. भारी स्कूल बैग को लेकर हर शिक्षण सत्र के पहले सीबीएसइ और आइसीएसइ पैटर्न स्कूलों को निर्देश दिये जाते हैं. इसके तहत उन्हें जानकारी दी जाती है कि स्कूली बैग का वजन कितना हो लेकिन अधिकांश स्कूलों के द्वारा इन नियमों की अनदेखी की जाती है. सूत्रों के अनुसार भारी बस्ता को लेकर सीबीएसइ की ओर से कई वर्ष पूर्व स्कूलों को कई निर्देश दिये गये थे, लेकिन इसका पालन आज तक नहीं हो पा रहा है. छोटी कक्षाओं में भी सात से आठ किताबें चलायी जाती है. इस पर उतने ही नोट बुक लंच बॉक्स या टिफिन, वाटर बोतल, इंस्ट्रूमेंट बॉक्स आदि से स्कूली बैग का वजन काफी बढ़ जाता है. ऊंची कक्षाओं में किताब, नोट बुक आदि की संख्या बढ़ने के साथ स्कूल बैग का वजन और अधिक बढ़ जाता है.

बोर्ड की ओर से जारी निर्देश
पहला निर्देश : यह निर्देश वर्ष 2004 में दिया गया था. इसमें नर्सरी से कक्षा दो तक के बच्चों को किसी भी तरह के स्कूल बैग के साथ स्कूल आने पर पाबंदी थी. बच्चों के पढ़ाई से संबंधित सारी चीजें स्कूल के पास ही रखी जाती थी. इस निर्देश में हर बच्चे को स्कूल में लॉकर की सुविधा दी जानी थी.

दूसरा निर्देश : इस निर्देश के तहत स्कूलों में कक्षा एक से 8वीं कक्षा तक कम से कम किताबें चलाने को कहा गया था. जिन किताबों की बेहद जरूरत हो, उन्हीं किताबों को वर्ग एक से 8 तक के छात्रों के कोर्स में शामिल किया जाना था.

तीसरा निर्देश : इसके तहत स्कूल बैग के अंदर वाटर बोतल और टिफिन नहीं रखा जाना है, ताकि स्कूल बैग का वजन नियंत्रित रहे.
निर्देशों का नहीं होता पालन
अधिकतर विद्यालयों में निर्देशों का पालन नहीं हो रहा. छोटे-बड़े सभी कक्षाओं में छात्र भारी बस्ता उठाने को मजबूर है. कक्षा नर्सरी, प्रथम, द्वितीय आदि के बच्चे भी भारी भरकम बैग पीठ पर उठा कर स्कूल जाते हैं.
अभिभावक गौतम कुमार ने कहा कि बच्चों का खेल-खेल में मानसिक विकास की जानी चाहिए. उन पर किताब का अधिक बोझ डालने से बच्चे पढ़ाई में कम ध्यान देकर खेल की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. शिवरंजन कुमार सिंह उर्फ लाला बाबू ने कहा कि बच्चों को कम से कम किताब का बोझ डाल कर पढ़ाई के प्रति उन्हें अधिक सजग करने की आवश्यकता है. पुस्तकों के नियंत्रित बोझ से बच्चों का सभी क्षेत्रों में विकास होगा. मनोज वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा भी बच्चों को खेल के माध्यम से ही पढ़ाये जाने की बात कही जाती है इसके बावजूद निर्धारित मापदंडों की अनदेखी से परेशानी बनी हुई है. प्रभाकर कुमार ने कहा कि बच्चों पर किताब का बोझ नहीं डाल कर उन्हें व्यावहारिक ज्ञान देने की जरूरत है. इससे बच्चों का पढ़ाई के साथ उनका बौद्धिक विकास भी हो सकेगा. सरकार द्वारा स्कूलों में टेक्स्ट बुक की जगह अभ्यास पुस्तिका से पढ़ाई करने की पहल की जायेगी.
कहती हैं डीएवी की प्राचार्या
डीएवी पब्लिक स्कूल के प्राचार्या डॉ शांति सिंह ने बताया कि सीबीएसइ बोर्ड द्वारा दिये गये निर्देश का विद्यालयों में पालन होता है. बच्चे रूटीन के अनुसार ही स्कूल में कॉपी-किताब लाते हैं. कक्षा एलकेजी, यूकेजी के बच्चे स्कूल में ही कॉपी रखते हैं. केवल टेस्ट बुक घर ले जाते हैं.
कहते हैं डीइओ
डीइओ त्रिलोकी सिंह ने कहा कि उन्हें सीबीएसइ बोर्ड द्वारा जारी निर्देशों की जानकारी नहीं है. स्कूलों में निर्देशों का पालन होना चाहिए.

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