गोपीकुंवर
लोहरदगा : बॉक्साइट ट्रकों का परिचालन पिछले लगभग तीन महीनों से बंद है. ट्रकों के बंद रहने के कारण लोहरदगा, गुमला एवं लातेहार जिला की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गयी है. सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है. क्षेत्र के ट्रक मालिक से लेकर मजदूर तक के समक्ष रोजी रोटी की समस्या भी उत्पन्न हो गयी है.
इस क्षेत्र में लगभग 1000 बॉक्साइट ट्रक चलते हैं. इन ट्रकों के ऑनर भाड़ा बढ़ोतरी की मांग हिंडालको एवं जियोमैक्स कंपनी से कर रहे हैं. ट्रक ऑनरों एवं हिंडालको प्रबंधन के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका है. ट्रकों के परिचालन बंद रहने से हर क्षेत्र में इसका असर देखा जा रहा है. चूंकि पहाड़ी इलाकों में यातायात का मुख्य साधन बॉक्साइट ट्रक ही होते हैं और बॉक्साइट ट्रकों के नहीं चलने के कारण पहाड़ी इलाके के लोगों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया है.
यदि कोई बीमार भी हो रहा है तो उसे लोहरदगा लाने की व्यवस्था नहीं है. इसी तरह ट्रकों के परिचालन बंद होने से डीजल की बिक्री काफी कम हो गयी है. इन ट्रकों के परिचालन में लगभग 70 हजार लीटर डीजल की खपत प्रतिदिन होती थी. इस क्षेत्र के लगभग 12 पेट्रोल पंप वीरान पड़े हैं.
टायर की बिक्री बंद है. अमूमन एक महीना में 50 जोड़ी ट्रक के टायर की बिक्री होती थी, लेकिन अभी एक जोड़ी टायर बिकना भी मुश्किल है. क्षेत्र से मजदूरों, ड्राइवर एवं खलासी काम के अभाव के कारण पलायन को विवश हो रहे हैं. चंदवा से लेकर नेतरहाट पठारी तक लगभग 40 से 50 टायर पंक्चर बनाने की दुकान है जो कि बंद पड़े हैं. इस क्षेत्र में लगभग 15 ढाबा एवं छोटे होटल हैं जो कि ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं. 8000 मजदूरों के समक्ष रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. 1000 ट्रक ड्राइवर एवं खलासी बेकार बैठे हैं.
ट्रक नहीं चलने के कारण इन्हें ट्रक मालिक पैसा भी नहीं दे रहे हैं. मोटर पार्ट्स, गैरेज सहित ट्रकों के मरम्मत का काम करनेवाले दुकान वीरान नजर आ रहे हैं. ट्रकों के नहीं चलने के कारण लगभग 90 लाख रुपये जो प्रतिदिन बाजार में आते हैं वे बंद हैं. चूंकि लोहरदगा, गुमला एवं लातेहार जिला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बॉक्साइट पर ही निर्भर है.
9 हजार टन बॉक्साइट की ढुलाई प्रतिदिन होती है इसमें 11 लाख 25 हजार रुपये की रॉयल्टी सरकार को मिलती है जो नहीं मिल रही है. लगभग 56 लाख रुपये सेल टैक्स, इनकम टैक्स एवं सर्विस टैक्स होता है जो कि सरकार को नहीं मिल रहा है. लोहरदगा तक बॉक्साइट ट्रकों से आता है और उसके बाद रेलवे के रैक से मूरी और रेणुकुट तक बॉक्साइट भेजा जाता है. एक माह में लगभग 25 रैक बॉक्साइट यहां से भेजा जाता है. बॉक्साइट का उठाव नहीं होने के कारण 3 करोड़ 50 लाख रुपये रेलवे को प्रतिमाह नुकसान हो रहा है.