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बिबेक देब्रॉय के साथ बैठक, सीएम ने कहा पांच वर्ष में बनायेंगे विकसित झारखंड

झारखंड के विकास पर बुधवार को होटल बीएनआर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में आर्थिक विकास पर 2011 में तैयार करायी गयी रिपोर्ट पर विशेष चर्चा की गयी. यह रिपोर्ट अर्थशास्त्री व नीति आयोग के सदस्य बिबेक देब्रॉय की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने तैयार की थी. कमेटी में लवीश भंडारी और विशाल […]

झारखंड के विकास पर बुधवार को होटल बीएनआर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में आर्थिक विकास पर 2011 में तैयार करायी गयी रिपोर्ट पर विशेष चर्चा की गयी. यह रिपोर्ट अर्थशास्त्री व नीति आयोग के सदस्य बिबेक देब्रॉय की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने तैयार की थी. कमेटी में लवीश भंडारी और विशाल कुमार सिंह भी थे. तत्कालीन भाजपा सरकार ने चार मई 2011 को इस रिपोर्ट को प्रकाशित कराया था. इसमें झारखंड के विकास को लेकर कई सुझाव दिये गये थे. संगोष्ठी में इन सुझावों पर की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की गयी. राज्य के विकास पर चर्चा की गयी. वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कई सुझाव दिये. सरकार ने कमेटी की रिपोर्ट पर आगे काम करने की बात कही.
रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संगोष्ठी में कहा कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण 14 वर्षो में कुछ नहीं हो पाया. पर अब स्थिर सरकार है और उसकी ईच्छाशक्ति मजबूत है. अब सिर्फ विकास की बातें होंगी. देब्रॉय कमेटी की रिपोर्ट पर आगे काम होगा. उन्होंने कहा : सरकार बनने के बाद तीन माह में अधिकारियों ने दिखा दिया है कि उनमें क्षमता है, वे काम कर सकते हैं. मंत्री भी फील्ड से लेकर कार्यालय तक लगातार काम में लगे हुए हैं. हम पांच साल में विकसित झारखंड बना कर देंगे. राज्य देश में पहले पायदान होगा.
विभागों का पुनर्गठन होगा : मुख्यमंत्री ने कहा : विभागों का पुनर्गठन किया जा रहा है, इनकी संख्या कम होगी. सचिवों व मंत्रियों के वित्तीय अधिकार बढ़ाये गये हैं, ताकि फाइलों का निष्पादन उनके स्तर से ही हो. कम से कम मामला कैबिनेट में आये.
सरकार इस माह के अंत तक स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल बनाने जा रही है. इसमें सारे सांसद सदस्य होंगे. इसमें अधिकारी व एक्सपर्ट भी होंगे. कमेटी विकास योजनाओं की समीक्षा कर हर तीन माह में रिपोर्ट देगी कि आगे कैसे काम करना है. उन्होंने कहा : सरकार अनुसूचित जनजाति विकास पर्षद भी बनाने जा रही है. यह आदिवासियों के विकास पर फोकस करेगी. कॉरपोरेट कंपनियों की वजह से आदिवासी आज भी लाल पानी पीने को मजबूर हैं. अब यह सब नहीं चलेगा. सीएसआर के नाम पर कुछ दवाएं बांटने से नहीं होगा. अब उनके सीएसआर की राशि कहां खर्च होगी, यह सरकार तय करेगी.
दामोदर पर ध्यान दे केंद्र : मुख्यमंत्री ने बिबेक देब्रॉय से कहा कि दामोदर नदी प्रदूषित हो रही है. इसकी वजह सीसीएल और बीसीसीएल है. नीति आयोग इसे गंगा एक्शन प्लान में शामिल करे. उन्होंने कहा : 11 वीं पंचवर्षीय योजना ने बेरोजगारों की फौज पैदा कर दी है. यही कारण है कि योजना आयोग को समाप्त कर पीएम ने नीति आयोग बनाया है. राज्य संसाधन को ध्यान में रखते हुए अपने तरीके से विकास करेगा. उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण और बीआरजीएफ की राशि की मांग भी की.
बैठक में थे : अर्थशास्त्री व नीति आयोग के सदस्य बिबेक देब्रॉय, मुख्यमंत्री रघुवर दास, मंत्री सरयू राय, रामचंद्र चंद्रवंशी, नीरा यादव, लुईस मरांडी, रणधीर सिंह, मुख्य सचिव राजीव गौबा, विकास आयुक्त आरएस पोद्दार, योजना विभाग के प्रधान सचिव अरुण सिंह और अन्य आलाधिकारी
देब्रॉय कमेटी पर अब तक हुए काम
– जेपीएससी व एसएससी में पब्लिक सर्विस एक्ट लागू
– न्यायालय के लंबित मामलों की समीक्षा हो रही
– पीपीपी मोड पर पेयजल आपूर्ति पर हो रहा विचार
– स्किल डेवलपमेंट की वोकेशनल ट्रेनिंग को बढ़ाया गया
– इंप्लायमेंट एक्सचेंज को मिशन मोड में बदला गया है

झारखंड विकास संगोष्ठी: देब्रॉय कमेटी की रिपोर्ट पर हुई समीक्षा, बिबेक देब्रॉय ने कहा सरकार की अस्थिरता बाधक नहीं
नीति आयोग के सदस्य व अर्थशास्त्री बिबेक देब्रॉय ने कहा कि काम करने के लिए सरकार की अस्थिरता कोई बाधक नहीं है. सरकार की जरूरत लॉ बनाने में होती है, चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार. दोनों जगह समान स्थिति है. सरकारों की अस्थिरता से काम का कोई लेना-देना नहीं होता है, पर जब काम करना है, तो यह ब्यूरोक्रेसी को करना होगा. ब्यूरोक्रेसी में काम करने को लेकर ढांचागत बदलाव की जरूरत है, तब सरकार की स्थिरता और अस्थिरता जैसी बातें नहीं होगी. श्री देब्रॉय होटल बीएनआर में एक बातचीत के दौरान उक्त बातें कही. ब्यूरोक्रेसी के लगातार तबादले पर उन्होंने कहा कि ट्रांसफर होना चाहिए, पर ट्रांसफर क्यों हो रहा है, इस बात की जानकारी संबंधित अधिकारी को देकर किया जाना चाहिए. श्री देब्रॉय ने कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी और ट्रांसफर की लिस्ट पब्लिक डोमेन में होनी चाहिए.
देब्रॉय कमेटी की रिपोर्ट पर काम न होने की स्थिति के सवाल पर उन्होंने कहा कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी. सरकार को देखना है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है. झारखंड के लोगों के सोच को सलाह में शामिल किया गया है. इसलिए इस पर सरकार को काम करना चाहिए था. उस समय क्या परिस्थिति बनी, जो काम नहीं हो सका, यह कहना कठिन है. अब उम्मीद है कि काम आगे बढ़ेगा. वर्ष 2011 में जो सलाह दी गयी थी, उसमें कई अब अप्रासंगिक हो गये हैं, पर अब भी ज्यादातर मुद्दे हैं जो प्रासंगिक हैं. उन पर काम करने की जरूरत है. 10 प्रतिशत से अधिक विकास दर पाना है. जरूरत है सशक्त पहल की. विकास के लिए योजनाओं को माइक्रो स्तर पर बनाने की जरूरत है. कार्य संस्कृति में बदलाव की जरूरत है. ऐसा देखा जाता है कि वित्तीय वर्ष के अंत में योजनाओं की स्वीकृति दी जाती है, जबकि वर्ष के आरंभ में ही इसकी स्वीकृति दी जानी चाहिए. श्री देब्रॉय ने कहा कि योजनाओं के बेहतर संचालन के लिए इ-गवर्नेस को बढ़ाने की जरूरत है.
झारखंड केवल रांची जमशेदपुर नहीं
श्री देब्रॉय ने कहा कि झारखंड का मतलब केवल रांची, जमशेदपुर या धनबाद नहीं है. समग्र झारखंड के विकास की बातें होनी चाहिए. सरकार को प्राथमिकता तय करनी होगी कि किसका, कहां और किसके लिए विकास करना है. विकास के लिए प्लान साइज कोई मायने नहीं रखता. इंप्लीमेंटेशन की बातें होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी कहा गया था कि पीडीएस सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है. लोग बड़ी चीज नहीं चाहते. छोटी-छोटी चीजों को चाहते हैं. पानी के लिए समूह बना कर वितरण करने की जरूत है, ताकि लोगों को पेयजल उपलब्ध हो सके. उन्होंने कहा कि नगरपालिका की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की जरूरत है. अरबन लोकल बॉडिज में भी कई खामियां हैं, इसे एक्ट बना कर दुरुस्त किया जा सकता है.
भूमि अधिग्रहण की खामियां दूर हो
श्री देब्रॉय ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की खामियां दूर होनी चाहिए. आज रिसेटलमेंट ठीक से नहीं होता, जिसके चलते लोग जमीन नहीं देना चाहते. ठीक से मुआवजा आदि न मिलने की वजह से ही पलायन बढ़ता है. इसकी खामियों में अविलंब सुधार करें. जमीन देने वालों की नौकरी सुनिश्चित हो, तभी विकास हो पायेगा.
काम हो रहा है और करने की जरूरत है
बिबेक देब्रॉय कमेटी की अनुशंसा पर काम हो रहा है, यह बात एक सुर में सरकार के अधिकारियों ने कही. होटल बीएनआर में आयोजित झारखंड विकास संगोष्ठी में बिबेक देब्रॉय कमेटी की अनुशंसा पर खासतौर पर जिक्र किया गया. तत्कालीन अजरुन मुंडा की सरकार ने यह रिपोर्ट बनवायी थी, पर बाद में इस पर काम नहीं हो सका. बुधवार को बिबेक देब्रॉय की उपस्थिति में इस पर विस्तार से चर्चा की गयी. ओपन सेशन राउंड में सुझाव भी लिये गये. स्वागत भाषण विकास आयुक्त आरएस पोद्दार व धन्यवाद ज्ञापन उद्योग सचिव हिमानी पांडेय ने किया.
गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत : सरयू राय
अपने संबोधन में खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि चर्चा तो इस बात पर होनी चाहिए कि जब उस समय की सरकार ने रिपोर्ट स्वीकार ली थी, इसका मतलब है कि अनुशंसा के आधार पर काम होगा. पर काम क्यों नहीं हुआ, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए. उन्होंने योजनाओं की क्लोज मॉनीटरिंग की बात भी कही.
श्री राय ने कहा कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि भवन निर्माण में पहले देखा जाता था कि गुणवत्ता सही नहीं पायी जाती थी. उसकी आलोचना होती थी. उन्होंने कहा कि बिबेक देब्रॉय ने झारखंड के विकास के संकेत दिये हैं. जिन कमियों को बताया है, उसे ठीक करना सरकार का काम है. आखिर चार साल बाद इस रिपोर्ट पर चर्चा की जरूरत क्यों पड़ी, क्योंकि इस पर काम नहीं हुआ. कई काम किये गये हैं, पर काम करने वालों को पता भी नहीं होगा कि इसकी अनुशंसा पहले ही देब्रॉय कमेटी ने कर दी थी.
श्री राय ने कहा कि सबको आंतरिक आत्मलोचना करनी चाहिए कि 14 वर्षो में राज्य में क्या हुआ है, उससे कैसे बेहतर करें. जो काम हो रहे हैं, उसकी मॉनीटरिंग की जानी चाहिए. जो परिसंपत्ति बन रही है, उसकी गुणवत्ता बहुत ही जरूरी है. श्री राय ने योजना बनाने की प्रक्रिया को मजबूत करने की बात कही.
कमेटी की अनुशंसा पर होगा काम : मुख्य सचिव
मुख्य सचिव राजीव गौबा ने कहा कि देब्रॉय कमेटी ने जो अनुशंसा की है, उस पर काम होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने योजनाओं की स्वीकृति देने में कई नये प्रयोग किये हैं. सचिवों और मंत्रियों के वित्तीय अधिकार बढ़ाये गये हैं, ताकि योजनाओं का निष्पादन तुरंत हो सके. एक अप्रैल से ही इस वर्ष की योजनाओं की स्वीकृति और आवंटन देना आरंभ कर दिया गया है. इस सरकार ने भी कमेटी की अनुशंसा पर ही काम करने की जरूरत बतायी है. मुख्य सचिव ने कहा कि इंस्टीटय़ूशन और पॉलिसी के स्तर पर सुधार की जरूरत है. अभी तेजी से काम हो रहा है. विकास आम लोगों तक पहुंचे इस दिशा में पहल की जा रही है.
सोशल ऑडिट आरंभ हुआ : एनएन सिन्हा
ग्रामीण विकास के प्रधान सचिव एनएन सिन्हा ने कहा कि कमेटी की अनुशंसा पर ही झारखंड लाइवलीहुड मिशन में सोशल ऑडिट आरंभ किया गया. मनरेगा में जल संरक्षण पर काम आरंभ हुआ है. स्कील डेवलपमेंट की दिशा में विभाग काम कर रहा है. श्री सिन्हा ने कहा कि आज इस बात पर सोचने की जरूरत है कि प्रखंडों का साइज क्या होगा, वह भी तब पंचायत जैसे संस्थान बन रहे हैं. छोटे-छोटे प्रखंडों से क्या विकास हो सकेगा, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.


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