बर्लिन : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नजदीकी रिश्तेदारों की कथित जासूसी संबंधी विवाद के बीच उनके पौत्र ने रविवार को कहा कि वह कल यानी सोमवार को जर्मनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पर मांग करेंगे कि इस महान स्वतंत्र सेनानी से जुडी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया जाए.
बोस के पौत्र सूर्य कुमार बोस ने कहा, ‘‘सुभाष बोस केवल अपने परिवार के ही नहीं हैं. उन्होंने खुद कहा था कि सारा देश उनका परिवार है. मुझे नहीं लगता कि यह सिर्फ उनके परिवार का कर्तव्य है कि वह इस मुद्दे (गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने) को उठाए.’’
नेताजी के भतीजे अद्र्धेन्दु बोस ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह काफी कडवी बात है कि वे (परिवार के सदस्यों पर) नजर रखे हुए हैं.’’ उन्होंने कहा कि दस्तावेजों से पता चलता है कि खुफिया सेवाओं और विदेशों में राजनयिकों से कहा गया है कि वे यह नजर रखें कि वे (नेताजी के संबंधी) क्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इससे संभवत: साबित होता है कि उन्हें मालूम है कि नेताजी का निधन नहीं हुआ है. वे जानते हैं कि विमान दुर्घटना में वह नहीं मारे गए हैं.’’ अर्धेन्दु ने कहा, ‘‘परिवार ठगा सा महसूस कर रहा है. सच सामने आना चाहिए. सब उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार सचाई सामने लाएगी.’’
सूर्य ने कहा, ‘‘यह भारत की जनता का कर्तव्य है कि वे इस मामले को उठाएं. अगर मुझे प्रधानमंत्री मोदी से कुछ मिनट के लिए बात करने का मौका मिला तो निश्चित रुप से इस मामले को उठाउंगा.’’ हैमबर्ग में भारत-जर्मन संघ के अध्यक्ष सूर्य को भारतीय दूतावास में आयोजित मोदी के स्वागत कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. करिश्माई नेताजी के एक अन्य पौत्र चन्द्र बोस ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक किया जाए. यह कहना है कि ऐसा करने से दूसरे देशों से भारत के संबंध प्रभावित होंगे, एक कमजोर बहाना है. मोदी सरकार पारदर्शिता की बात करती है और अब पारदर्शिता दिखाते हुए उन फाइलों को जारी किया जाना चाहिए, जो बताती हैं कि नेताजी के साथ उनके जीवन के अंतिम समय में क्या हुआ.’’
चन्द्र ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि नेताजी संबंधी फाइलों को सार्वजनिक नहीं करने के लिए मोदी सरकार वही बहाने कर रही है जो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय किए गए थे. उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनकी सरकार ने एक बयान में कहा था कि अगर वे इन फाइलों की गोपनीयता समाप्त कर देंगे तो दोस्ताना पडोसियों के साथ समस्याएं होंगी. यह हानिकारक बयान है.’’ इस बारे में एक आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने नेताजी से संबंधित फाइलों की गोपनीयता को समाप्त करने से यह कहते हुए इनकार किया है कि ‘‘सार्वजनिक किए जाने से विदेशी देशों से संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा.’’