रविवार को प्रभात खबर के माध्यम से यह मामला प्रकाश में आने के बाद बीएड कॉलेज संचालकों ने इसको लेकर आशंका जाहिर की है. उनका कहना है कि कई छात्रों ने उनको पत्र लिख कर ठगी की शिकायत करते हुए इस बाबत पूछताछ की है. पीड़ित छात्रों के बयान से लगता है कि फर्जीगिरी करने वाला व्यक्ति बंगाल के सोनारपुर इलाके में रहता है और वहीं बीएड की कोचिंग भी चलाता है.
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नहीं बंद हुई फर्जी डिग्री की दुकान
पटना: बीएड कॉलेजों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजी करने वाले गिरोह का दायरा सिर्फ बिहार के बीएड कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है. इन जालसाजों ने झारखंड और हरियाणा सहित दूसरे राज्यों में चल रहे बीएड कॉलेजों की भी फर्जी वेबसाइट बना कर सैकड़ों छात्रों के साथ ठगी की है. रविवार को […]
पटना: बीएड कॉलेजों के नाम पर फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजी करने वाले गिरोह का दायरा सिर्फ बिहार के बीएड कॉलेजों तक ही सीमित नहीं है. इन जालसाजों ने झारखंड और हरियाणा सहित दूसरे राज्यों में चल रहे बीएड कॉलेजों की भी फर्जी वेबसाइट बना कर सैकड़ों छात्रों के साथ ठगी की है.
ऊंची पहुंच की धौंस
पीड़ित छात्रों के मुताबिक फर्जीगिरी करने वाला व्यक्ति मगध विवि में ऊंची पहुंच रखने का दावा करता है. वह छात्रों को कम पैसे के साथ ही किस्त में भी बीएड कराने का लालच देकर उनको अपने साथ जोड़ता है. आम तौर पर बीएड के लिए लाख रुपये से अधिक लगता है कि लेकिन उस व्यक्ति ने छात्रों से नामांकन के लिए 50 से 70 हजार रुपये लिये. इसी चक्कर में छात्र फंसते चले गये. फर्जी वेबसाइट पर उनका नाम दिखा कर विश्वास दिलाने की कोशिश की गयी.
फर्जी वेबसाइट चालू
इतने बड़े फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने के बाद भी पटना पुलिस के स्तर पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है. रविवार की रात जब प्रभात खबर ने फर्जी वेबसाइट की जांच की तो टेकाबिगहा बख्तियारपुर के कमलेश्वरी प्रसाद सिंह टीचर ट्रेनिंग कॉलेज को छोड़ कर बाकी सब कॉलेज के फर्जी वेबसाइट चालू दिखे. उसके माध्यम से अब भी छात्रों को ठगने का उपाय किया जा रहा है. अब तक इस मामले में पटना पुलिस के पास कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है. पुलिस ने इसे दूसरे राज्य का मामला बताते हुए ठगी के स्थल पर ही मामला दर्ज कराने की सलाह दी.
क्या है मामला ?
बिहार के कई बीएड ट्रेनिंग कॉलेजों का फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजों ने दर्जनों छात्रों को नामांकन कराने के नाम पर लाखों ऐंठ लिये. इतना ही नहीं फर्जी वेबसाइट पर उनका नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर डाल कर इस बात की पुष्टि भी कर दी कि उनका उस कॉलेज में नामांकन हो गया है और अब वे वहां क्लास करने के लिए जा सकते है. इस मामले का खुलासा तब हुआ जब उन कॉलेजों में छात्र नामांकन के बाद पढ़ाई करने के लिए पहुंचे. वेबसाइट खोला गया तो वह फर्जी निकला. मूल वेबसाइट से एकदम मिलती जुलती फर्जी वेबसाइट बनायी गयी है. कॉलेज का नाम, प्रतीक चिह्न्, संचालक, शिक्षकों का नाम एक दम मूल वेबसाइट की तरह है. मूल वेबसाइट के अंत में डॉट कॉम है, जबकि फर्जी वेबसाइट के अंत में डॉट ओआरजी कर दिया गया है.
हम लोग इस मामले को लेकर गांधी मैदान थाने में गये थे, मगर वहां पर कोई मामला दर्ज नहीं हो सका. पुलिस ने मामले को ठगी के स्थल पर ही दर्ज कराने की सलाह दी है. साइबर सेल की हमें जानकारी नहीं. इसकी जानकारी लेकर हम सबसे पहले फर्जी वेबसाइट को बंद कराने की प्रार्थना करेंगे ताकि कोई दूसरा छात्र उनकी फर्जीगिरी का शिकार न हो सके ’’
शंभु शरण, सचिव, रघु सरोज वेलफेयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, जहानाबाद
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