पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गंगोत्री से निकलने वाली गंगा का एक बूंद पानी भी बिहार में प्रवेश नहीं करता है. जब गंगा बिहार में प्रवेश करती है तो 400 क्यूसेक पानी अपने साथ बिहार में लाती है, जब बिहार छोड़ती है, तो 1600 क्यूसेक पानी साथ लेकर जाती है.
इलाहाबाद से फरक्का तक यूपी व बिहार में गंगा नदी के जल स्तर को ऊंचा कर सिंचाई के लिए डैम बनाना और गंगा को विशाल पोखर के रूप में परिवर्तित करना होगा. तभी गंगा नदी का सदुपयोग किया जा सकता है, क्योंकि गंगा में कुछ अव्यव हैं तो उसकी कई विशिष्टता भी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक दैनिक अखबार के समारोह में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि गंगा नदी की निर्मलता पर पहल होनी चाहिए, लेकिन गंगा नदी की अविरलता भी बनी रहे. आज गंगा का पानी शहर के किनारे से दूर होता जा रहा है. गंगा नदी छिछली होती जा रही है और इसमें गाद जमा हो रहा है. थोड़ा सा भी पानी बढ़ने से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसका मुख्य कारण है फरक्का बराज. फरक्का बराज के कारण सिल्ट जमा हो जाता है, सिल्ट डिस्चार्ज नहीं होता. पहले गंगा का जल प्रवाह सिल्ट के साथ बंगाल की खाड़ी में जाता था, जो अब अवरुद्ध हो गया है.
गंगा नदी पर संकट उत्पन्न हो गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकार की बैठक हुई थी. बैठक में हमने सुझाव भी दिया. योजनाएं गंगा में निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए है, इसकी अविरलता के लिए नहीं. गंगा की अविरलता पर ध्यान देने की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि इस विषय पर अध्ययन जरूरी है. बिहार सरकार की ओर से पिछले कई सालों से राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने का मुद्दा उठाया जाता रहा है. एक तरफ गंगा के जल ग्रहण क्षेत्र में वनों की कटाई के कारण आने वाले गाद की मात्र में वृद्धि हुई है, वहीं दूसरी ओर फरक्का बराज के कुप्रभाव के कारण गंगा का तल ऊपर उठ रहा है. समारोह में न्यायमूर्ति अजय त्रिपाठी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विधायक नितिन नवीन, विधान पार्षद संजय सिंह व अन्य थे. रणवीर नंदन, संजय मयूख, मेयर अफजल इमाम समेत अन्य मौजूद थे.