मोतिहारी : केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि देश की आर्थिक संपन्नता के लिए हरित व श्वेत क्रांति की तरह नीली क्रांति का संचार जरूरी है. किसानों को मछली पालन नहीं, बल्कि मत्स्य खेती करनी होगी. तभी उनके परिवार में संपन्नता आयेगी व देश आर्थिक सबल बनेगा.
वे गांधी मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हर्टी संगम सह प्रदर्शनी में शनिवार को मत्स्य उत्पादन व पशुपालन मेला को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मत्स्य उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है, लेकिन पहले स्थान पर रहने वाले चीन व यहां के उत्पादन में काफी अंतर है. वर्ष 2011 के मुताबिक चीन का उत्पादन दर 5 सौ 44 लाख मीटरिकटन था, जबकि भारत में मत्स्य उत्पादन का दर तब मात्र 88 लाख था. हमें इस गैप को भरना है.
50 करोड़ का बजट प्रावधान. कृषि मंत्री कहा कि सरकार ने देश में नीली क्रांति लाने के लिए 50 करोड़ बजट में प्रावधान किया है. मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. तालाब निर्माण के लिए लागत का 50 प्रतिशत अनुदान देने की योजनाएं चल रही हैं. इसके साथ ही तालाब पर ट्य़ूब्वेल लगाने के लिए अतिरिक्त 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा मत्स्य उत्पादक किसानों को एनएफडी के तहत थोक मार्केट का निर्माण कराने की स्वीकृति दी गयी है. इसके लिए राज्य सरकारों को राशि भी उपलब्ध करायी गयी है.
मंत्री ने बताया कि केन्द्र के नौ माह के कार्यकाल में 22 थोक मार्केट, 14 हजार 889 मोबाइल मार्केट व चार बंदरगाह बनाये गये हैं. मत्स्य पालन में आगे आने वाले मछली पालकों को सरकार मार्केट उपलब्ध कराने के लिए ट्रेनिंग के साथ मोटरसाइकिल व आइस बॉक्स सरकारी सहायता पर उपलब्ध करायेगी.