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योजनाएं सफल, तो हम होंगे सबल

उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत के अधिकांश क्षेत्र गरीबी, बेकारी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव से ग्रस्त है. जनता-जनार्दन की परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से योजनाएं बनायी जाती हैं, लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था और स्वार्थी अधिकारी व नेताओं की वजह से योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाती हैं. नतीजतन स्थिति जस की […]

उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत के अधिकांश क्षेत्र गरीबी, बेकारी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव से ग्रस्त है. जनता-जनार्दन की परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से योजनाएं बनायी जाती हैं, लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था और स्वार्थी अधिकारी व नेताओं की वजह से योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाती हैं.
नतीजतन स्थिति जस की तस बनी है. हर पांच साल बाद चुनाव होता है. सत्ता में दल बदल जाते हैं, मगर देश की जनता की स्थिति नहीं बदलती. सत्ता परिवर्तन होते ही योजनाएं बदल जाती हैं, लेकिन पांच साल गुजरते-गुजरते उनका हश्र भी बुरा ही होता है. घोषणा पत्र में योजनाओं को शुरू करने का ढिंढोरा पीटा जाता है, लेकिन कोई यह नहीं कहता कि फलां योजना पूरी हो गयी है. इस तरह से कब तक काम चलेगा. देश को सबल बनाने के लिए योजनाओं को सफल बनाना होगा.
विनीता तिवारी, रामगढ़ कैंट

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