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सत्‍यम घोटाला : रामालिंगा राजू को 5 करोड़ रुपये जुर्माना और 7 साल की कैद

हैदराबाद : देश के आईटी सेक्‍टर के सबसे बड़े घोटाले सत्‍यम मामले में आज हैदराबाद की विशेष अदालत ने सत्‍यम कम्‍प्‍यूटर्स के संस्‍थापक बी. रामालिंगा राजू समेह 10 को दोषी करार दिया है. अदालत ने संस्‍थापक राजू को पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और सात साल की कैद की सजा भी सुनाई. सीबीआई ने […]

हैदराबाद : देश के आईटी सेक्‍टर के सबसे बड़े घोटाले सत्‍यम मामले में आज हैदराबाद की विशेष अदालत ने सत्‍यम कम्‍प्‍यूटर्स के संस्‍थापक बी. रामालिंगा राजू समेह 10 को दोषी करार दिया है. अदालत ने संस्‍थापक राजू को पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और सात साल की कैद की सजा भी सुनाई.

सीबीआई ने इस मामले की जांच की है. विशेष न्यायाधीश बी वी एल एन चक्रवर्ती ने नौ मार्च को अंतिम सुनवाई के दौरान कहा था, ‘नौ अप्रैल को फैसला सुनाया जाएगा. मैं इसे बेहद स्पष्ट बना रहा हूं. नौ अप्रैल को फैसला हो जाएगा. आगे मुल्तवी करने का सवाल ही नहीं उठता. अदालत इंतजार नहीं करेगी.’

रामलिंगा राजू के अलावा अन्य आरोपी उनके भाई और सत्यम के पूर्व प्रबंध निदेशक बी रामा राजू, पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी वदलामणि श्रीनिवास, पूर्व पीडब्लूसी ऑडिटर सुब्रमणि गोपालकृष्णन और टी श्रीनिवास, राजू के एक अन्य भाई बी सूर्यनारायण राजू, पूर्व कर्मचारियों जी रामकृष्ण, डी वेंकटपति राजू और श्रीसाईलम तथा सत्य के पूर्व आंतरिक मुख्य ऑडिटर वी एस प्रभाकर गुप्ता हैं.

क्‍या है सत्‍यम घोटाला?

देश की सबसे बडी लेखा धोखाधडी माना जा रहा यह घोटाला सात जनवरी 2009 को तब प्रकाश में आया जब कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन अध्यक्ष बी रामलिंगा राजू ने कथित तौर पर अपनी कंपनी के बही खाते में हेराफेरी तथा वर्षों तक करोडों रुपये का मुनाफा बढा चढा कर दिखाने की बात कबूल की. अपने भाई रामा राजू और अन्य के साथ फर्जीवाडे की बात कथित तौर पर स्वीकार करने के बाद आंध्रप्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने राजू को गिरफ्तार कर लिया. मामले में सभी 10 आरोपी अभी जमानत पर हैं.

करीब छह साल पहले शुरू हुए मामले में लगभग 3000 दस्तावेज चिह्नित किये गये और 226 गवाहों से पूछताछ हुई. आमदनी बढा चढाकर दिखाने, खाता में हेरफर, फर्जी सावधि जमा के साथ ही विभिन्न आयकर कानूनों का उल्लंघन करने के सिलसिले में राजू और अन्य पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत गलत रिटर्न भरने, फर्जीवाडा, आपराधिक साजिश, धोखाधडी और विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया था.

कब-कब आरोप पत्र हुआ दायरा?

फरवरी 2009 में सीबीआई ने जांच का जिम्मा संभाला और तीन आरोप पत्र (7 अप्रैल 2009, 24 नवंबर 2009 और 7 जनवरी 2010) दाखिल किया जिसे बाद में एक साथ मिला दिया गया. पहले दो आरोपपत्रों में नौ अन्य लोगों के साथ मिलकर राजू द्वारा खाता में हेराफेरी करने का मामला है. जबकि, तीसरा आरोपपत्र विभिन्न आयकर कानूनों के उल्लंघन से संबंधित है. सीबीआई ने पहले और तीसरे आरोपपत्र में राजू और अन्य को बढा-चढा कर बतायी गयी आमदनी के जरिए भरोसा तोडने, धोखाधडी करने का आरोपी ठहराया.

दूसरा आरोपपत्र आईटी कानूनों का उल्लंघन कर कथित तौर पर जाली रिटर्न से संबंधित है. मुकदमे के दौरान, सीबीआई ने आरोप लगाया कि घोटाले की वजह से निवेशकों को 14,000 करोड रुपये का नुकसान हुआ जबकि बचाव पक्ष ने आरोपों के जवाब में कहा कि जालसाजी के लिए आरोपी जिम्मेदार नहीं हैं और केंद्रीय एजेंसी की ओर से मामले से संबंधित दाखिल सभी दस्तावेज मनगढंत हैं और कानून के मुताबिक नहीं है. प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन रोकथाम कानून के तहत उनके खिलाफ एक आरोप पत्र दाखिल किया था.

पिछले साल जनवरी में आयकर अदायगी मामले में आर्थिक अपराध के लिए एक विशेष अदालत ने रामलिंगा राजू की पत्नी नंदिनी राजू और बेटों तेजा राजू और रामा राजू समेत पूर्व सत्यम प्रमुख के 21 रिश्तेदारों को दोषी ठहराया था. पिछले साल आठ दिसंबर को कंपनी कानूनों के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन के सिलसिले में गंभीर धोखाधडी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) की ओर से दर्ज करायी गयी शिकायतों के मामले में आर्थिक अपराध से संबंधित एक विशेष अदालत ने रामलिंगा राजू, रामा राजू, वदलामणि श्रीनिवास और पूर्व निदेशक राम म्यानामपति को छह महीने जेल की सजा सुनायी और जुर्माना लगाया.

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