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नहीं मिले 59 हजार करोड़ के उपयोगिता प्रमाणपत्र

पटना: राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान 59 हजार 113 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं मिले हैं. रुपये खर्च करने के 18 महीने के बाद विभागों को इसका यूसी जमा करना होता है, लेकिन विभिन्न मदों के 2 हजार 128 यूसी जमा नहीं किये गये हैं. सीएजी की जारी रिपोर्ट में […]

पटना: राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान 59 हजार 113 करोड़ रुपये के उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूसी) नहीं मिले हैं. रुपये खर्च करने के 18 महीने के बाद विभागों को इसका यूसी जमा करना होता है, लेकिन विभिन्न मदों के 2 हजार 128 यूसी जमा नहीं किये गये हैं. सीएजी की जारी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है. इसमें सबसे ज्यादा 32 फीसदी यूसी शिक्षा विभाग के हैं. इस विभाग ने 11 हजार 994 करोड़ के 323 यूसी जमा नहीं किये हैं. पंचायती राज विभाग की भी है. इसने 151 यूसी 7 हजार 125 करोड़ के जमा नहीं किये हैं.

यूसी जमा नहीं होना विभागीय योजना या कार्यक्रमों के तहत जारी हुए रुपये में गड़बड़ी होने की तरफ इशारा करता है. आठ विभागों ने ट्रेजरी से एडवांस के रूप में 221 करोड़ रुपये लिये थे, जो 31 मार्च 2014 तक एडजस्ट नहीं किये गये थे. इसके अलावा तीन हजार 801 करोड़ का एसी बिल (आकस्मिक व्यय) 31 मार्च, 2014 तक बकाया है. इसका डीसी बिल का जमा नहीं होना है. राज्य की 65 ट्रेजरी से निकाले गये 488 करोड़ के 9 हजार 579 वाउचर अभी तक सरकार को प्राप्त नहीं हुए हैं.

इसमें 183 करोड़ के 1360 वाउचर पटना स्थित सिंचाई भवन, विकास भवन, मुजफ्फरपुर और पटना ट्रेजरी के ही हैं. राज्य सरकार ने 11.28 करोड़ रुपये के घोटालों के मामले खुद पकड़े हैं.
कुछ बड़ी गड़बड़ी का किया उल्लेख
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की पहचान करने के लिए कोई सव्रेक्षण नहीं किया.
सबला योजना को 12 जिलों में शुरू किया गया था. इससे 11 से 14 साल की जिन चिह्न्ति लड़कियों का जो डाटा तैयार किया गया है, उसमें काफी गड़बड़ी है. केंद्र से आवंटित 173 करोड़ रुपये लौट गये.
पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय ने उत्खनन के लिए स्थल चयन के लिए कोई नीति या दिशा-निर्देश नहीं निर्धारित किया.
संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन जल और स्वच्छता सहायता संगठन स्थापित नहीं कर सका. राज्य स्तर पर 55 और जिला स्तर पर 81 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं.
स्टेट हाइवे के निर्माण व देखरेख के लिए कारगर पहल नहीं. राज्यपथ घोषित करने की कसौटी भी अधिसूचित नहीं हुई.
राज्य में ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम’ परियोजना बुनियादी ढांचा के निर्माण में देरी के कारण राज्य में शुरू नहीं हो सका और केंद्रीय स्तर पर अपराध तथा अपराधियों का डाटाबेस की साझीदारी नहीं हो पायी.

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