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काम करते वक्त दोस्त बनाने से परहेज क्यों

दक्षा वैदकर आम तौर काम करनेवाले लोगों के बीच यह धारणा होती है कि जब तक हम अपने वर्कप्लेस पर हैं, तो वहां काम करनेवाले लोगों या फिर वहां आने-जानेवाले लोगों से केवल काम की बात करें, तो बेहतर है. कुछ लोग इसे प्रोफेशनल तरीका बताते हैं. यही वजह है कि कई बार आप यदि […]

दक्षा वैदकर

आम तौर काम करनेवाले लोगों के बीच यह धारणा होती है कि जब तक हम अपने वर्कप्लेस पर हैं, तो वहां काम करनेवाले लोगों या फिर वहां आने-जानेवाले लोगों से केवल काम की बात करें, तो बेहतर है. कुछ लोग इसे प्रोफेशनल तरीका बताते हैं. यही वजह है कि कई बार आप यदि किसी काम से किसी ऑफिस में जाते हैं और वहां काम पूरा होने में वक्त लग रहा है, तो समय काटना मुश्किल हो जाता है.

वहां लोग खाली भी बैठे होते हैं, तो बात करने की जरूरत महसूस नहीं करते. लेकिन कई बार काम के अलावा बातचीत और हंसी-मजाक को भी अपने वर्कप्लेस पर जगह देने से इस प्रोफेशनल रिश्ते को मजबूती मिलती है. इससे काम और बेहतर तरीके से पूरा होने लगता है. चलिए, इसे एक उदाहरण से समझते हैं.

दो दोस्तों ने साथ में पढ़ाई पूरी की और एक मीडिया हाउस में इंटर्नशिप के लिए पहुंच गये. दो माह की इंटर्नशिप में जहां पहले दोस्त ने अपने काम के दौरान मिलने-जुलनेवाले लोगों से केवल काम की बातें की, वहीं दूसरे दोस्त ने न केवल अपना काम पूरा किया, बल्कि जिन-जिन से भी मिला, उनसे इधर-उधर की भी बातें कर उन्हें अपने नेटवर्क से जोड़ता चला गया.

जहां पहले दोस्त का काम जल्दी खत्म हो जाता था और वह ऑफिस पहुंच जाता था, वहीं दूसरा दोस्त अलग-अलग जगहों पर गपशप आदि भी पूरा करके शाम में आराम से ऑफिस पहुंचता था. काम दोनों ने ही अच्छा किया, लेकिन दूसरे दोस्त के सूत्र ज्यादा मजबूत बन गये, क्योंकि उसने न केवल काम की बातें की थी, बल्कि लोगों से दोस्ताना संबंध भी बना लिया था. इसलिए लोग सबसे पहले उसे ही सूचना देने लगे थे और मीडिया में यदि सबसे पहले सूचना मिल जाये, तो और क्या चाहिए. जब नौकरी की बात आयी, तो संपर्क और सूत्र की मजबूती को देखते हुए पहले दोस्त की बजाय दूसरे को ही मौका मिला.

दोस्तों, काम तो हम सब करते हैं, लेकिन उससे थोड़ा वक्त हमारे साथ काम करनेवाले और हमारे काम से जुड़े लोगों के सुख-दु:ख बांटने के लिए भी निकाल लें, तो हमारी सफलता की संभावना कहीं ज्यादा बढ़ जाती है.

बात पते की..

– काम करना कितने भी नियमों से क्यों न बंधा हो, लेकिन मानवीय संबंध इन नियमों से कहीं ज्यादा ऊपर हैं. लोगों से जुड़ें, उनसे बातें करें.

– जरूरी नहीं कि हर बार काम गंभीर रहने से ही सफल हो. कई बार दोस्ताना व्यवहार भी काम को सफल बना देता है.

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