इसमें मोहनपुर प्रखंड के मोरने व सोनारायठाढ़ी प्रखंड के दौंदिया गांव में कब्रिस्तान घेराबंदी की स्वीकृति दी गयी थी. मोरने में 13.32 लाख व दौंदिया में 19.40 लाख की लागत से कब्रिस्तान घेराबंदी होना था. विभाग की ओर से आमसभा करायी गयी, लेकिन आमसभा में पूरी सहमति बनाये बगैर आनन-फानन में काम चालू कर दिया गया.
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कब्रिस्तान घेराबंदी का 33 लाख सरेंडर
देवघर: कभी-कभी ग्रामीणों के आपसी विवाद के कारण सरकार की विकास योजनाएं लैप्स कर जाती है. इससे योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाती है. कल्याण विभाग से अल्पसंख्यकों के लिए कब्रिस्तान को सुरक्षित करने हेतु कब्रिस्तान घेराबंदी की योजना स्वीकृत हुई है. इसमें मोहनपुर प्रखंड के मोरने व सोनारायठाढ़ी प्रखंड के दौंदिया गांव में कब्रिस्तान […]
देवघर: कभी-कभी ग्रामीणों के आपसी विवाद के कारण सरकार की विकास योजनाएं लैप्स कर जाती है. इससे योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पाती है. कल्याण विभाग से अल्पसंख्यकों के लिए कब्रिस्तान को सुरक्षित करने हेतु कब्रिस्तान घेराबंदी की योजना स्वीकृत हुई है.
इससे स्थल को लेकर दो गुटों में असहमति हो गयी. विवाद को स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी सुलझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन जमीन विवाद बढ़ता गया. इस दौरान दौंदिया में नींव खुदाई में 48 हजार रुपये भी विभाग ने भुगतान कर दिया. अंत तक विवाद नहीं सुलझने पर मार्च में दोनों गांव की कुल आवंटित राशि 16 लाख रुपये सरेंडर हो गयी. अगर योजना तेज गति से चलती तो शेष राशि 17 लाख रुपये भी प्राप्त हो सकता था. लेकिन योजना पूरी तरह से विवाद की भेंट चढ़ गयी व अब यह दोनों योजना किसी अन्य जिले में हस्तांतरित हो गया.
‘ मोरने व दौंदिया गांव में वित्तीय वर्ष 2014-15 में कब्रिस्तान घेराबंदी किया जाना था. लेकिन ग्रामीणों में स्थल को लेकर आपसी सहमति नहीं हो पायी. इससे राशि सरेंडर करना पड़ गया.
– अगापित टेटे, जिला कल्याण पदाधिकारी, देवघर
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