बंदूक का भय दिखा कर हमारे उम्मीदवारों को नामांकन पत्र वापस लेने पर मजबूर किया और अब हमारी वाल राइटिंग को मिटाया जा रहा है. नगर निकाय चुनाव के लिए लगायी गये हमारे होर्डिंग को भी तृणमूल के लोग नुकसान पहुंचा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह का अत्याचार सत्तारूढ़ पार्टी ने 1970 के दशक में कांग्रेस नेता सिद्धार्थ शंकर राय के मुख्यमंत्रित्व काल में भी नहीं किया था. माकपा नेता ने कहा कि पुलिस को शिकायत करने का भी कोई नतीजा नहीं निकला. उन्होंने कहा कि अगर हम उसके पास जा रहे हैं, तो पुलिस इस तरह की घटनाओं के संबंध में हमारी प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग से संपर्क करने पर भी हालात वही बने रहते हैं. श्री बोस ने कहा कि तृणमूल की परोक्ष मंशा चुनाव में विघ्न डालने की है और वह इसलिए पुलिस और राज्य निर्वाचन आयोग का उस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल कर रही है.