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प्रदूषण नियंत्रण पर बोले प्रधानमंत्री, प्रकृति की पूजा हमारी परंपरा

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में पर्यवारण मंत्रियों के सम्मलेन को आज संबोधित किया. दो दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस में प्रदूषण और उस पर कैसे नियंत्रण किया जाए इस पर चर्चा होगी. प्रधानमंत्री ने आज अपने संबोधन में भूमि अधिग्रहण पर फैलाये जा रहे भ्रम के साथ […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में पर्यवारण मंत्रियों के सम्मलेन को आज संबोधित किया. दो दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फ्रेंस में प्रदूषण और उस पर कैसे नियंत्रण किया जाए इस पर चर्चा होगी. प्रधानमंत्री ने आज अपने संबोधन में भूमि अधिग्रहण पर फैलाये जा रहे भ्रम के साथ -साथ नियंत्रण पर अपनी बात रखी. उन्होंने इस पर भी चर्चा की कि कैसे भारत में प्रकृति पूजन की परंपरा हमारी संस्कृति में है.

इस मौके पर हवा में प्रदूषण की मात्रा मापने के लिए इंडेक्स जारी किया गया जिसे बड़े शहरों में लागू किया जायेगा. इसके अलावा उन्होंने गंगा की सफाई पर चलाये जा रहे अभियान की भी चर्चा की.प्रधानमंत्री ने भूमि अधिग्रहण पर जारी बवाल को भी कम करने की कोशिश की उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण को लेकर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है. इसमें आदिवासी, वनवासी और फोरेस्ट लैंड की कहीं चर्चा नहीं है. यह अलग कानून से बंधे हुए लोग और क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि वन कानून से इनकी सुरक्षा हो रही है.

यहां कई लोग कर्मचारी वन विभाग से मैं चाहता हूं कि आप इसे अच्छी तरह समझ लें. उन्होंने इस पर गर्व महसूस किया कि भारत में टाइगर की संख्या में 40 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. इससे हमें गर्व महसूस होता है. दुनिया में टाइगर कम हो रहे हैं और हमने इसमें बढ़त हासिल की है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के कहा, हमारे पास हजारों साल की परंपरा है हम प्रकृति से जुड़े हुए है. विश्व हमारे लिए प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए मानदंड तय करे यह ठीक नहीं है हमें इस क्षेत्र में आगे बढ़कर नेतृत्व करना चाहिए. दुनिया हमारे लिए सवालिया निशान नहीं खड़ा सकती. हम कार्बन उत्सर्जन में बड़े देशों से काफी पीछे है लेकिन हम अपनी बात को उस ढंग से विश्व के सामने नहीं रख पाते, हममे आत्मविश्वास की कमी है. हमेशा यह डर लगा रहता है कि कहीं विश्व के सामने हमारा मजाक ना उड़ जाए.
मोदी ने याद कराया कि भारत में सदियों से रिसाईकल की परंपरा है. कपड़े फट जाने के बाद गद्दों की तरह उसका इस्तेमाल होता है. या भी पोछे में इस्तेमाल होता है.
चांदनी रात में पुराने जमाने के लोग इसका आनंद लेते थे. लेकिन आज का युवा इससे बिल्कुल कटा हुआ है. हम क्यों ने ये कोशिश करें की चांदनी रात को स्ट्रीट लाइट बंद कर दीजाए. मोहल्ले के लोग एक जगह जमा होकर इसका आनंद लें. इससे बिजली की भी बचत होगी और आनंद भी आयेगा. उन्होंने आगे कहा, जहां उपभोग ज्यादा है वहांप्रदूषणभी ज्यादा है. हमें अपने दिनचर्या में भी सुधार लाना होगा. हम क्यों ने ये कोशिश करें कि सप्ताह में एक दिन उर्जा से चलने वाली चीजों का इस्तेमाल ना करें. इससे प्रदूषण के नियंत्रण में काफी मदद मिलेगी.

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