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सात को मोरहाबादी में धरना
मैथिली, भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा बनाने का विरोध रांची : आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच ने मैथिली, भोजपुरी, मगही को द्वितीय राजभाषा बनाने का विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर सात अप्रैल को मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष एक दिवसीय धरना का आयोजन किया जायेगा. उसी दिन राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की जायेगी, जिसके […]
मैथिली, भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा बनाने का विरोध
रांची : आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच ने मैथिली, भोजपुरी, मगही को द्वितीय राजभाषा बनाने का विरोध किया है. इस मुद्दे को लेकर सात अप्रैल को मोरहाबादी स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष एक दिवसीय धरना का आयोजन किया जायेगा. उसी दिन राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की जायेगी, जिसके तहत झारखंड बंद व विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे.
सात अप्रैल को ही सरकार को स्थानीयता का ड्राफ्ट भी सौंपा जायेगा. इस अवसर पर रतन तिर्की, प्रेमचंद मुमरू, प्रेमशाही मुंडा, राजू महतो, एस अली सहित अन्य नेताओं ने कहा कि झारखंड को बिहार बनाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध होगा. झारखंड में झारखंडी भाषाओं को ही द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलना चाहिए अन्य भाषाओं को नहीं. प्रेमचंद मुमरू ने कहा कि देश के अंदर राज्य का गठन ही इसलिए होता है कि स्थानीय एवं मूलनिवासियों को विकास में प्राथमिकता मिले.
स्थानीयता उनके लिए पहचान व अस्तित्व का सवाल है. एस अली ने कहा कि झारखंड में मूलवासी आयोग का भी गठन होना चाहिए. स्थानीयता के मुद्दे पर कहा गया कि जिनके परिजन 1950 से झारखंड में रह रहे हैं उन्हें व उनकी संतानों को ही स्थानीय माना जाना चाहिए. 1995 को आधार वर्ष बनाने का विरोध किया गया. संवाददाता सम्मेलन में मंच के इसरत आलम, प्रवीण सहाय सहित अन्य उपस्थित थे.
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