जमशेदपुर. अखिल भारतीय भुइयां समाज कल्याण समिति के केंद्रीय अध्यक्ष-दुलाल भुइयां ने स्थानीयता पर अपना सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को राज्य के स्थानीय निवासियों के हित को देखते हुए स्थानीयता परिभाषित करना चाहिए. झारखंड में खाता-खतियानधारी को स्थानीयता का हक प्राप्त है. उसे स्थानीयता का आधार माना जाना चाहिए. साथ ही राज्य गठन के 15 साल पहले जन्म लेने वाले, रहने वाले, वोटर लिस्ट में नाम रहने वाले यानी 1985 से यहां रहने वाले को स्थानीयता माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति जो 1985 से पहले ली गयी हो, उसे भी आधार बनाया जा सकता है. लेकिन इस बात को ध्यान देने की जरूरत है कि जिस व्यक्ति को झारखंड में स्थानीयता मिली है. उसे अचल संपत्ति के आधार पर किसी दूसरे राज्य में स्थानीयता प्राप्त नहीं होना चाहिए. इस तरह की यदि कोई धोखाघड़ी करता है तो उसे स्थानीयता से वंचित कर दंडित किया जाना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्र में भूमिहीन व्यक्ति जो लंबे समय से रहता आ रहा है. उसे पंचायत के मानकी-मुंडा, माझी-परगना, पाहन-पड़हा के अनुशंसा के आधार पर मूलवासी का मान्यता दिया जाना चाहिए.
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कट ऑफ डेट 1985 को स्थानीयता का आधार बनाया जाये: दुलाल भुइयां
जमशेदपुर. अखिल भारतीय भुइयां समाज कल्याण समिति के केंद्रीय अध्यक्ष-दुलाल भुइयां ने स्थानीयता पर अपना सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को राज्य के स्थानीय निवासियों के हित को देखते हुए स्थानीयता परिभाषित करना चाहिए. झारखंड में खाता-खतियानधारी को स्थानीयता का हक प्राप्त है. उसे स्थानीयता का आधार माना जाना चाहिए. साथ ही राज्य गठन […]
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