नयी दिल्ली : भारतीय कर्मचारियों की वेतनवृद्धि का अनुपात दुनिया की बड़ी देशों में सबसे ज्यादा है, लेकिन इसका फायदा महंगाई की वजह से कर्मचारियों को नहीं मिल पाता है. दुनिया की बड़ी अर्थव्यस्थाओं में शामिल भारत की कंपनियां दूसरे एशियाई देशों की तुलना में अपने कर्मचारियों की वेतन में तो अच्छी खासी वृद्धि करती है, लेकिन मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नजर डाले तो भारत में महंगाई अधिक देखने को मिलेगी.
इस वित्त वर्ष में भारतीयें को उम्मीद है कि उनके वेतन में 10 से 11 फीसदी की बढ़ातरी होगी. यह बढोतरी एशियाई देशों में चीन, पाकिस्तान, मलेशिया, वियतनाम आदि देशों से तो अधिक है, लेकिन बाकी देशों के मुद्रास्फीति की तुलना करने के बाद सैलरी ग्राथ का औसत कम हो जाता है और भारत वेतन वृद्धि में छठे स्थान पर पहुंच जाता है. टावर्स वाटसन के सर्वे की बात करें तो भारत में 10.8 फीसदी सैलरी ग्रोथ की उम्मीद है.
जबकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और वियतनाम में 11 फीसदी सैलरी ग्रोथ की उम्मीद जतायी जा रही है. इस हिसाब से भारत चौथे स्थान पर आता है. मुद्रास्फीति की गणना के बाद चीन में सैलरी ग्रोथ ओवरऑल 5.2 फीसदी का अनुमान है. इसी प्रकार पाकिस्तान में 4.5 फीसदी, बांग्लादेश में 4.3 फीसदी, वियतनाम में 4.1 फीसदी और श्रीलंका में 3.8 फीसदी नेट सैलरी ग्रोथ का अनुमान है. इस प्रकार भारत में नेट सैलरी ग्रोथ का अनुमान 3.5 फीसदी है. भारत नेट सैलरी ग्रोथ में एशियाई देशों में छठे स्थान पर नजर आता है.
पिछले साल हर माह के रिपोर्ट पर नजर डालें तो सरकार ने मुद्रास्फीति में सुधार के दावे किये हैं. इसेक बावजूद दैनिक उपभोग की सामग्रियों पर महंगाई हावी है. मध्यम वर्ग के लिए सरकार ने अपने नये बजट में भी कोई विशेष प्रावधान नहीं किये हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि मध्यम वर्ग अपना ध्यान स्वयं रखें. भारतीय कंपनियों आम तौर पर हर साल अपने कर्मचारियों के वेतन में 10 फीसदी की बढ़ोतरी करते हैं. इस बढ़ोतरी के बावजूद महंगाई की मार झेल रहे निम्न और मध्यम वर्ग के लोग अपने सैलरी ग्रोथ का पूरा फायदा नहीं उठा पाते हैं.
रिजर्व बैंक के रेट कट के बाद भी बैंकों ने ऋणों पर नहीं घटाया ब्याज
रिजर्व बैंक ने एक ही वित्त वर्ष में दो बार रेपो रेट में 25-25 बेसिक अंकों की कटौती की है. रिजर्व बैंक ने रेट कट की घोषणा करते हुए उम्मीद जताया था कि इसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को जल्द ही मुहैया करायेंगे. लेकिन परिणाम ठीक उल्टा देखने को मिला, कुछ बैंकों ने शुरुआत में ब्याज दरों मं कटौती की संभावना तो व्यक्त की थी, लेकिन उसको अमली जामा अभी तक नहीं पहनाया जा सका है. इससे अलग कुछ बैंकों ने अपने यहां बचत और मियादी जमा पर ब्याज दरें जरुरी कम कर दी हैं. भारतीय स्टेट बैंक की अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने फरवरी में ही ब्याज दरों में कटौती की बात कही थी. लेकिन अभी तक स्टेट बैंक तो क्या किसी भी बैंक ने होम लोन या पर्सनल लोन पर ब्याज दरों में कटौती नहीं की है.
अनाज और सब्जियों की महंगाई से आम आदमी त्रस्त
अनाज, तेलहन और सब्जियों की महंगाई से आम आदमी त्रस्त है. लगातार बढ़ रही महंगाई पर केंद्र सरकार भी लगाम नहीं लगा पा रही है. हालांकि सरकार महंगाई घटने के दावे करने में पीछे नहीं है. इन दावों के बीच जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और ही है. कभी बाढ़ का प्रकोप तो कभी अन्य प्राकृतिक कापदाओं की वजह से लगातार सब्जियों और फलों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है. उसी प्रकार अनाज के भाव भी चरम पर हैं. यूपीए के शासनकाल में महंगाई में हुई बढ़ोतरी को मुख्य हथियार की तरह इस्तेमाल करते हुए भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2014 भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी. सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण का दावा करने से अभी भी बाज नहीं आ रही है. सैलरी ग्रोथ के बाद भी महंगाई की मार से भारतीय कर्मचारियों को आंशिक फायदा ही मिल पाता है.
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