फोटो संख्या : 1 लाखो रुपये अर्जन करती है अचार बेचकर परिवार के सभी सदस्य मिलकर चलाते है लघु उद्योगपूसा, प्रतिनिधि . कहने को तो छोटी मुहं पर बड़ी बात मगर स्थानीय रिसर्च कॉलोनी की गरीब महिला रामकली देवी आज विभिन्न फलों का अचार रुपांतरित कर लाखो रुपये अर्जन कर स्वरोजगार के क्षेत्र में मिशाल बनी है. रामकली अपने साथ पुत्र प्रमोद, बहू लक्ष्मी व अनीता एवं पौत्र गौरव सौरभ का भी सहयोग लेकर अचार की दुनिया में महारत हासिल की है. जिससे परिवार के भरन पोषण के अलावे अन्य कार्यो भी बहुत ही अच्छा ढंग से चल रहा है. इस लघु उद्योग में बहू लक्ष्मी का भूमिका सराहनीय है. खासकर आम, निंबू, क टहल, अमरा, ओल, लाल मिर्च, हरा मीर्च, लहसून, बरोबर (मिक्स) के अलावे आंवला के मोरब्बा, बड़ी आदि स्वहाथो से बना उत्पाद राज्य के तमाम कोने कोने में बेचे जाते हैं. किसान मेला हो या फिर लघु उद्योग के लिय कोई भी सेमिनार लक्ष्मी को निश्चित रूप से प्रमाणपत्र व पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है. इधर आकर रामकली के बहू लक्ष्मी के जोड़ पर जय मां वैष्णवी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर अन्य गरीब महिलाएं को भी स्वरोजगार से जोड़ने का सफल प्रयास किया जा रहा है. इतना ही नहीं रामकली के स्वरोजगार पर राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय सहित जिले के तममा संस्थानों की नजर इन उद्यमी परिवार पर नहीं पड़ा है. रामकली के बहू लक्ष्मी कहती है कि ऋण के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत फार्म भरकर जिला का चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं. कोई सुननेवाला नहीं है. अगर इस उत्पाद को ब्रांड नेम मिल जाता तो निश्चित ही स्वरोजगार के क्षेत्र में चार चांद लग जाता.
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स्वरोजगार के क्षेत्र में मिशाल है रामकली
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