उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भूमि अधिकार देने की बात पर निर्णय लेना चाहिए. जमीन उपलब्ध कराने के बाद भी दखल-कब्जा नहीं रह पाता है. महादलित को जमीन देने की घोषणा सही तरीके से अमल नहीं हुई. भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उन मुद्दों को उठाया जा सकता है जिस पर सरकार विचार नहीं कर रही है. अखिल भारतीय लोक मंच देशव्यापी स्तर पर तैयार हुआ है. बिहार में इसे मजबूती से खड़ा करने की जरूरत है.
राज्य में मानदेय पर कार्यरत इंजीनियर, डॉक्टर, आइटीवाले लोगों का ज्वलंत मुद्दा है. मध्याह्न भोजन से जुड़े कर्मी अपनी मांग को उठाने का काम कर रही है. मंच के लोग उनके साथ मिल कर बड़ा कार्यक्रम कर सकते हैं. 23 मार्च से लेकर 30 जून के बीच सौ दिन के कार्यक्रम में आंदोलन को विकसित करने की जरूरत है. भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि बिहार में वह आने के प्रयास में लगी है. दिल्ली में सफलता नहीं मिली. नीतीश-लालू में विलय की बात चल रही है.
लेकिन दोनों के 25 साल के शासनकाल का जनता हिसाब मांगेगी. संगोष्ठी में प्रो. डेजी नारायण ने कहा कि आंदोलन के लिए बड़े साझा मंच की जरूरत है.मीरा दत्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने आइसीडीएस, सर्वशिक्षा अभियान, मनरेगा, मिड डे मिल आदि महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कटौती की है. महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा है. संगोष्ठी को श्यामनंदन, केडी यादव सहित कई लोगों ने संबोधित किया. कार्यक्रम में चंद्रशेखर को उनके शहादत दिवस पर याद किया गया.
नीतीश शासन में महादलितों के भूमि अधिकार, भूमि सुधार, ठेका और मानदेय पर काम करनेवाले नौजवानों के खिलाफ जो वादाखिलाफी हुई है, उसके खिलाफ माले का राज्यव्यापी आंदोलन करेगा. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संगठनों और जनांदोलनों से जुड़े कई संगठनों ने नरेंद्र मोदी सरकार की सांप्रदायिक व कॉरपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ एक साथ जुड़ने का निर्णय लिया है. इसके लिए दिल्ली में 14-15 मार्च को ऑल इंडिया पीपुल्स फोरम का गठन किया गया है. इस फोरम में भाकपा-माले भी एक घटक है. मौके पर माले के राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा और पूर्व विधायक सत्यदेव राम भी उपस्थित थे.