फोटो संख्या : 4 व 5प्रशिक्षण में छुपा है कृषि का भविष्य पूसा, प्रतिनिधि . राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के मशरुम विभाग में चल रहे सात दिनी प्रशिक्षण का समापन समारोह मंगलवार को हुआ. अध्यक्षता आधार विज्ञान एवं मानविकी संकाय के अधिष्ठाता डा. बीके चौधरी ने की. उन्होंने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशिक्षण को तकनीकी बनाने के लिए हाउ, ह्वाट व ह्वाई तीनों ही प्रश्नों का अन्योनाश्रय होना नितांत जरुरी है. समापन सत्र के मुख्य अतिथि विभग के चेयरमैन डा. नारायणी प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा कि भूमिहीन किसानों के लिए कम लागत में मशरुम उत्पादन व विपनण व्यवसाय स्वरोजगार के समानुपाती है. ईमानदारी से इस व्यवसायी को करने पर सालाना लाखों रुपये कमाया जा सकता है. एग्री विजनेश के कोर्डिनेटर डा. एसपी सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण में सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक दोनों ही पहलू अहम है. डा. एमएन झा ने कहा कि महाविद्यालय से आये सभी छात्र-छात्राएं मशरुम की दुनिया के लिए मिशाल बन कर उभरें. डा. आर. डा. मिथलेश कुमार ने कहा कि मशरुम उत्पादन गरीबों का मसीहा है जो बेहतरीन प्रोटीनयुक्त सब्जी के साथ साथ आर्थिक स्थिति को भी सबल बनाता है. प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि हमारे विश्वविद्यालय से आप सभी को नवीनतम तकनीक हरसंभव दिया जायेगा. इससे पूर्व मुख्य अतिथि को अधिष्ठाता ने पुष्प गुच्छा एवं शॉल देकर सम्मानित किया. संचालन व धन्यवाद ज्ञापन मशरुम वैज्ञानिक डा. दयाराम ने किया. बता दें कि इसमें लंगट सिंह कॉलेज व एमडीडीएम कॉलेज मुजफ्फरपुर के चार दर्जन से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया. मौके पर अभिनव कुमार, रवि कुमार, केके वर्मा आदि मौजूद थे.
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ईमानदार मेहनत कृषि व्यवसाय का मूलमंत्र : डा. नारायणी
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