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कम बिजली मिलने से उत्पादन में व्यापक असर

संवाददाता, किरीबुरूआवश्यकता से कम बिजली की आपूर्ति का असर सेल की किरीबुरू, मेघाहातुबुरू एवं गुवा खदान में उत्पादन पर पड़ा है. अभी खदान में 16-18 घंटे डीजी जेनेरेटर चला कर उत्पादन को बरकरार रखा जा रहा. इसमें प्रति टन लगभग 8 रुपये अतिरिक्त लागत खर्च बढ़ गया है. सेल अधिकारियों को मानना है कि लागत […]

संवाददाता, किरीबुरूआवश्यकता से कम बिजली की आपूर्ति का असर सेल की किरीबुरू, मेघाहातुबुरू एवं गुवा खदान में उत्पादन पर पड़ा है. अभी खदान में 16-18 घंटे डीजी जेनेरेटर चला कर उत्पादन को बरकरार रखा जा रहा. इसमें प्रति टन लगभग 8 रुपये अतिरिक्त लागत खर्च बढ़ गया है. सेल अधिकारियों को मानना है कि लागत खर्च बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्द्धा कड़ी हो जायेगी. किरीबुरू, मेघाहातुबुरू एवं गुवा खदान को प्रतिदिन 5, 5, 5 (कुल 15) मेगावाट बिजली की अतिरिक्त जरूरत है. लेकिन दो से ढ़ाई मेगावाट ही बिजली मिल पा रही. इसमें वाटर प्लांट, टाउनशिप, अस्पताल आदि आवश्यक सेवाओं मंे बिजली की खपत अधिक है. नोवामुंडी स्थित विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल केंद्र से दो फीडर लौहांचल में आया है. एक फीडर से किरीबुरू एवं गुवा तथा दूसरे से मेघाहातुबुरू एवं बालाजी आदि को विद्युत सप्लाइ होती है. बिजली किल्लत के कारण आवासीय क्षेत्रों में भी कटौती की जा रही. बिजली के कारण जलापूर्ति भी प्रभावित हो रही है. —11 केबी फीडर के लिए प्रतिदिन कम से कम 24 मेगावाट विद्युत की जरूरत है. लेकिन लगभग आठ मेगावाट बिजली ही दी जा रही है. जिसे मिला-जुला कर आपूर्ति करना पड़ रहा है. अभी विद्युत संकट है, इसमें स्थानीय स्तर पर कुछ नहीं किया जा सकता. मनोज कुमार सिंह, एसडीओ, विद्युत आपूर्ति अवर प्रमंडल—बिजली की कमी के कारण 16 घंटा डीजी चलाया जा रहा. इससे उत्पादन खर्च बढ़ गया है. बिजली की आपूर्ति के लिए विद्युत बोर्ड चेयरमैन तक से बात की गयी है. सेल के खदानों को प्रतिदिन पांच मेगावाट बिजली की आवश्यकता है जबकि आपूर्ति काफी कम है. इमा राजू, महाप्रबंधक, किरीबुरू खदान

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